(सुधीर दंडोतिया की कलम से)
डीजी बनने की चाह
मध्यप्रदेश में पुलिस के कुछ आला अफसरों में जमकर नाराजगी देखी जा रही है। यह सभी अफसर सीनियर हैं और सरकार के सबसे सीनियर अफसर से खासे नाराज हैं। एडीजी रैंक के इन अफसरों की पीड़ा है कि प्रशासनिक ढांचे के अनुसार पद नहीं बढ़ाए जाने के कारण यह डीजी नहीं बन पाएंगे। ये अफसर बार-बार गुहार लगा चुके हैं पर इनकी फाइल पर अब तक कोई अमल नहीं हुआ है। ऐसे में इन अफसरों को अपने बेच के दूसरे अधिकारियों के सामने शर्मिंदा होना पड़ रहा है। जब ये अफसर मध्यप्रदेश के बाहर जाते हैं इनके साथ के डीजी बन चुके अफसरों से मेल मुलाकात के दौरान शर्मिंदगी उठानी पड़ती है। इनमें कई अफसर बेहद ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ भी रहे हैं पर मध्यप्रदेश में प्रशासनिक मुखिया के चहेते न होने के कारण इनकी फाइल आगे नहीं बढ़ पा रही है। बहरहाल इनमें कई अफसर चुनाव के बाद रिटायर्ड हो रहे है। ऐसे में इन अफसरों की नाराजगी चुनाव में भारी पड़ सकती है।
लोकायुक्त से कांग्रेस खुश
मध्य प्रदेश लोकायुक्त से कांग्रेस खुश नजर आ रही है। कांग्रेस नेताओं की शिकायत पर बीते दिनों प्रदेश सरकार के खिलाफ जांच के आवेदन को लोकायुक्त ने स्वीकार कर लिया है। मंत्री महोदय प्रदेश के रसूखदार मंत्री हैं, ऐसे में कांग्रेस को भी उम्मीद नहीं थी उनकी शिकायत को प्राथिमिकी जांच में शामिल कर लिया जाएगा। बहरहाल पीई के बाद कांग्रेस इसे अपनी बड़ी जीत मानकर चल रही है। कांग्रेस को उम्मीद है जांच में जो परिणाम आएं, पर चुनाव तक उसने सरकार की घेरबंदी के लिए जाल तो बिछा ही दिया है। वैसे मंत्रीजी के इलाके में सबसे ज्यादा प्रताड़ित कांग्रेसी ही थे।
आफत ये कि जिले में जाएं या क्षेत्र में
चुनावी साल में सीएम के मंत्रियों को दिए सख्त तेवर ने मंत्रियों की परेशानी बढ़ा दी है। बीजेपी कार्यकर्ताओं की शिकायत पर मुख्यमंत्री ने मंत्रियों के काम में कसावट के लिए मीटिंग बुलाई। इसमें सीएम ने मंत्रियों को दो टूक कह दिया कि प्रभार के जिले में कार्यकर्ताओं को समय देना होगा। ऐसे में उन मंत्रियों के सामने सबसे बड़ी समस्या है, जो प्रभार के जिलों में कम जाया करते थे। मीटिंग में ही मंत्री आपस में चर्चा करते नजर आए कि प्रभार के जिले में फील्डिंग जमाने के चक्कर में कहीं खुद की विधानसभा में ही आउट न हो जाएं।
कार्यालय के पास ही पार्टी दुखियारों का अड्डा
मध्य प्रदेश कांग्रेस में दुखी नेताओं का एक अलग से अड्डा तैयार हो गया है। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय के पास शिवाजी नगर में ही पार्टी के उपेक्षित और दुखी नेता यहां बैठक कर न केवल गप्पे लगाते हैं, बल्कि एक-दूसरे के दुःख को भी बांटते नजर आ रहे हैं। हाल ही में कांग्रेस आलाकमान के खास बड़े पदाधिकारी जो अब लूप लाईन में है, उन्होंने भी अड्डे को अपना ठिकाना बना लिया है। ये साहब पहले तो बड़े साहब के बंगले जाकर हाजिरी लगाते हैं, फिर इस अड्डे पर ही साहब के करीबियों को लेकर खरी खोटी सुनाते हैं। ये बड़े अधिकारी इस अड्डे पर आकर साहब के साथ बिताए सुनहरी यादों का जिक्र भी करते हैं। हाल ही में इनको आरोप के चलते लूप लाईन में बैठा दिया गया है।
चर्चा जोरो पर है
मध्य प्रदेश में हिजाब को लेकर चल रहे विवाद में लाटसाहब की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं। इस मामले में कलेक्टर महोदय ने इतनी जल्दी क्लीन चिट दी कि सवाल उठ गए। अब लाटसाहब कि जल्दबाजी की चर्चा जोरों पर हैं। इस मामले में संघ और हिंदूवादी संगठन लाटसाहब से नाराज हैं। खुद प्रदेश सरकार के विभाग से जुड़े मंत्री ने लाटसाहब पर स्कूल संचालक से मिलीभगत के आरोप लगाए हैं। इसके बाद माना जा रहा था कि लाटसाहब की छुट्टी हो सकती है, लेकिन मंत्री के बयान और संघ का दबाव भी लाटसाहब साहब के रसूख के आगे कुछ नहीं कर पाया। ऐसे में मध्य प्रदेश में कयास लगाए जाने लगे कि आखिर लाटसाहब साहब के पीछे पॉवर सेंटर कौन है। दबी जुबान में चर्चा जोरों पर है कि कलेक्टर साहब पर प्रदेश की पावर गैलेरी के सबसे बड़े साहब की कृपा है, इसलिए उनका इकबाल बुलंद है।
Read more- Health Ministry Deploys an Expert Team to Kerala to Take Stock of Zika Virus
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक