रायपुर। छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है, इस ओर मुख्यमंत्री का जरा सा भी ध्यान नहीं है. अपनी कुर्सी को कैसे बचाएं, केवल इस ओर ध्यान है. इतने खराब हालत आजतक नहीं देखा. हालात को देखते हुए प्रदेश में मुख्यमंत्री को बदलने की आवश्यकता है. यह बात राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम ने कही.

सांसद रामविचार नेताम ने भाजपा कार्यालय में पत्रकारों से चर्चा में कहा कि प्रदेश के बस्तर संभाग के जांगला गांव से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘आयुष्मान भारत योजना’ की शुरुआत की थी. उससे पहले भी प्रदेश में भाजपा की सरकार के समय स्मार्ट कार्ड योजना से भी हर व्यक्ति को 50 हज़ार रुपए तक का इलाज मुफ्त होता था, लेकिन सत्ता में आते ही कांग्रेस ने उन सभी योजनाओं पर पलीता लगाते हुए खुद की योजना लाने की कोशिश की.

स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कार्यभार सम्हालते ही थाईलैंड जाकर वहां की चिकित्सा व्यवस्था का अध्ययन किया, लेकिन सभी ढाक के तीन पात ही साबित हुए. न तो नयी कोई व्यवस्था आ पायी और न ही पुरानी व्यवस्था ही ढंग से संचालित हो पायी.

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प्रदेश में बड़ी मुश्किल से भाजपा सरकार ने मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर को कम करने में सफलता हासिल की थी. मातृ मृत्यु दर वर्ष 2003 में प्रति एक लाख पर 365 थी, जो 2018 तक घट कर 173 हो गई थी. इस अवधि में शिशु मृत्यु दर प्रति एक हजार पर 70 से घट कर 39 रह गई थी. राज्य में बच्चों के सम्पूर्ण टीकाकरण का प्रतिशत 48 से बढ़कर 76 और संस्थागत प्रसव का प्रतिशत 18 से बढ़कर 70 हो गया था, लेकिन पिछले तीन साल में बच्चों के मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ते जाना चिंताजनक है.

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सांसद नेताम ने कहा कि राज्यसभा में दिए भयावह आंकड़े से उम्मीद है कांग्रेस सरकार की नींद खुले. हालांकि, इसकी उम्मीद कम ही है कि स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री के बीच छिड़ी जंग से नौनिहालों की मौतें भी लगाम लगा पाये. भाजपा मांग करती है कि इस तरह असमय प्राण गंवाने वाले लोगों के परिजनों को राज्य शासन सांत्वना राशि प्रदान करे. हमारे पास लखीमपुर के किसानों को देने के लिए करोड़ों रुपए हैं, लेकिन हमारे ही गरीबों के लिए प्रदेश में इस तरह का अकाल है. भूपेश सरकार पूरे प्रदेश में सर्वे कर सभी पीड़ित परिवारों को राहत प्रदान करे.