अजयारविंद नामदेव, शहडोल। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के आदिवासी बाहुल्य जिले शहडोल (Shahdol) में अंधविश्वास के कारण बच्चों की गर्म सलाखों से दागने की कुप्रथा लंबे समय से चली आ रही है। कुछ मामलों में तो दगना कुप्रथा के कारण मासूमों की मौत तक हो जाने की बाते सामने आ चुकी हैं। ऐसा ही एक ताजा मामला शहडोल संभाग के उमरिया व शहड़ोल जिले से सामने आया है। जहां शहडोल जिले के एक 5 महीने की बच्ची को सांस लेने में तकलीफ होने के चलते गर्म सलाखो से दागा गया, जिससे बच्ची की ज्यादा हालात बिगड़ने पर मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। जहां इलाज के दौरान मासूम की मौत हो गई थी।
वहीं बच्ची की मौत के बाद सलाखों से दागने वाली दाई के खिलाफ मामला दर्ज कर मासूम का शव दफन कर दिया गया था। अब उस बच्ची का शव शनिवार को कब्र से बाहर निकलवाया गया। बताया जा रहा है कि मासूम की मौत के कारण पर सवाल उठने, विशेषज्ञ और प्रशासन के आलाधिकारी की बात में विरोधाभास सामने आने के बाद ऐसा किया जा रहा है। ताकि मासूम की मौत का सही कारणों का पता लग सके।
शहडोल जिले के अमलाई थाना क्षेत्र की रहने वाली 5 महीने की काव्या को सांस लेने में तकलीफ के चलते इलाज के नाम पर गर्म सलाखों से दागा गया। हालत ज्यादा बिगड़ने पर परिजनों ने उपचार के लिए मेडिकल कालेज में भर्ती कराया। जहां इलाज के दौरान मासूम बच्ची की मौत हो गई थी। जिसके बाद बच्ची का शव परिजनों को सौंप दिया गया था। परिजनों ने शव दफन कर दिया था। आपको बता दे कि इसी प्रकार उमरिया जिले के करकेली में 5 महीने के दिव्यांश को भी गर्म सलाखों से दागने के बाद हालात ज्यादा बिगड़ने पर उपचार के लिए मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया है। जहां वह वेंटिलेटर पर जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा है।
इसी तरह एक मामला अभी हाल में ही जिले के सिंहपुर से सामने आया था। जहां बच्ची को सांस लेने में हो रही परेशानी के चलते अंधविश्वास के फेर में दगना कुप्रता के चलते मासूम को गर्म सलाखों से कई बार दागा गया था। जंहा उपचार के दौरान बच्ची की मौत के बाद उसे भी दफन कर दिया गया था। लेकिन मामला तूल पकड़ने के बाद उसका भी शव कब्र से निकालकर पोस्टमार्टम कराया गया था। अब एक बार पुनः यह घटना दोहराई गई, जिसको लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे है। जिले में इस प्रकार की कई घटनाएं सामने आ चुकी है। बावजूद इसके परिजन इस कुप्रथा से बाहर नहीं निकल पा रहे है।
आपको बता दें कि आदिवासी बाहुल्य शहडोल संभाग में दगना कुप्रथा हावी है। यहां अंधविश्वास के फेर में इलाज के नाम पर मासूम बच्चों को दागने की कुप्रथा आज भी जारी है। दगना कुप्रथा के चलते संभाग में कई बच्चों की मौत भी हो चुकी है, फिर भी परिजन इस कुप्रथा से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं।
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