सत्यपाल राजपूत, रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव रिमिजियूस एक्का ने निर्वाचन भवन नवा रायपुर में नगरीय निर्वाचन 2021 में  चुनावी खर्चे का ब्यौरा रखने के लिए नियुक्त ,निर्वाचन व्यय प्रेक्षक, निर्वाचन व्यय नोडल और निकाय  निर्वाचन व्यय संपरीक्षकों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक ली, जिसमें उन्होंने निर्देश दिए कि जिला निर्वाचन अधिकारी कार्यालय द्वारा निर्धारित दरों के अनुसार चुनावी खर्च पर नज़र रखें.

उन्होंने कहा कि धन का दुरुपयोग रोकने के लिए ही आयोग द्वारा आप सबकी नियुक्ति की गई है. बैठक में व्यय प्रेक्षकों से अभ्यर्थियों के प्रथम और द्वितीय व्यय लेखा जांच की तिथियों की जानकारी भी ली गई. प्रत्येक प्रत्याशी को कम से कम दो बार निर्वाचन व्यय लेखा जांच के लिए प्रस्तुत करना होगा. विशेष परिस्थितियों में प्रत्याशी को 2 से अधिक बार भी व्यय लेखा प्रस्तुत करना पड़ेगा.

यह निर्णय व्यय प्रेक्षक के विवेक पर निर्भर करेगा कि शिकायत अथवा गड़बड़ी की आशंका को देखते हुए वह दो से अधिक बार भी जांच कर सकता है. छत्तीसगढ़ नगरपालिका अधिनियम 1956 की धारा 14 क व छत्तीसगढ़ नगरपालिका अधिनियम 1961 की धारा 32 के तहत प्रत्येक अभ्यर्थी का यह दायित्व है कि वह अपने निर्वाचन व्ययों का लेखा छत्तीसगढ़ राज्य निर्वाचन आयोग को प्रस्तुत करेगा.

क्या है चुनावी खर्च की सीमा

उप सचिव दीपक अग्रवाल ने बताया कि राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा  पार्षद पद के उम्मीवारों के लिए चुनावी खर्च की सीमा तय की गई है, जिसके अनुसार 3 लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगर निगमों के लिए निर्वाचन व्यय अधिकतम  5 लाख रुपए  और 3 लाख से कम जनसंख्या वाले नगर निगमों के लिए निर्वाचन व्यय 3 लाख रुपए  निर्धारित किया गया है.

इसी प्रकार नगर पालिका परिषद के लिए एक लाख 50 हजार और नगर पंचायतों के लिए 50 हजार रुपए का निर्वाचन व्यय निर्धारित किया गया है. उन्होंने बताया कि  15 नगरीय निकायों में हो रहे आम चुनाव में भिलाई नगर निगम में ही एकमात्र ऐसा निकाय है, जिसकी जनसंख्या ( जनगणना2011 के अनुसार) 3 लाख से अधिक है. इस प्रकार यहां एक प्रत्याशी 5 लाख रुपए तक का चुनावी खर्च कर सकता है. वहीं नगर निगम भिलाई चरौदा, रिसाली और बीरगांव  के लिए व्यय सीमा 3 लाख रुपए है.

 

इसे भी पढे़ं : सुरक्षाकर्मी की काटी जा रही छुट्टियां, विरोध में परिवार के साथ बैठा धरने पर, जानिए क्या है मामला