कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। महातपस्वी युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के विद्वान सुशिष्य मुनिश्री सुधाकर कुमार जी और मुनिश्री नरेश कुमार जी ग्वालियर प्रवास पर पहुंचे। इस दौरान उनके द्वारा सुखी परिवार में जैन वास्तु एवं मंत्रों की भूमिका सहित अन्य सामाजिक के गंभीर विषयों के बारे में रोचक और प्रभावी प्रवचन दिए। मुनि श्री छत्तीसगढ़ के रायपुर से पंजाब तक बिहार के लिए चातुर्मास पर निकले हैं।
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ग्वालियर के दौलतगंज घोरपड़े का बाड़ा स्तिथ तेरापंथ भवन मे मुनि श्री के अम्रत प्रवचन का आयोजन हुआ। जहां सकल जैन समाज ने मुनि श्री का स्वागत किया। इस दौरान मुनि श्री ने इन पांच प्रमुख सामजिक धार्मिक विषयो पर प्रकाश डाला,
- क्यों होता है रिश्तो में टकराव?
- क्यों होता है मानसिक तनाव?
- क्यों छाया रहता है नकारात्मक ऊर्जा का डर?
- वास्तु टिप्स जिससे घर में बढ़ेगी सकारात्मक ऊर्जा एवं खुशी का भाव
- ऐसे जैन मंत्र जो लाते है रिश्तों में ख़ुशहाली
मुनिश्री सुधाकर जी ने इन गंभीर विषयों पर प्रवचन देकर मानव जीवन में अमृतरूपी परिवर्तन लाने पर जोर दिया। मुनि श्री ने कहा कि सुखी परिवार सुखी जीवन चाहिए तो चार शब्दों पर गौर करना होगा। भूसा,भाषा, भोजन और भजन। मुनि श्री ने यह भी बताया कि भूसा का अर्थ जीवन में आग्रह और जिग्न हो। हम किसी भी प्रकार के आवरण को न ओढ़े, परिवार की जो प्राचीन परंपराएं हैं उनका पुनर्लेखन हो पुनरसंरक्षण हो और हम चेतना का विकास जरूर करें। आप कोई भी भाषा बोले हिंदी, अंग्रेजी, कन्नड़ लेकिन आपके परिवार के सदस्यों के बीच एक ही भाषा होनी चाहिए। वह प्रेम की भाषा होनी चाहिए। तीसरा भोजन है, ऋषि मुनियों ने भोजन पर बहुत प्रकाश डाला है। कहा भी जाता है कि जैसा खावे अन्न ,वैसा होवे मन, जैसा पीवे पानी वैसी होवे वाणी। इसलिए आज नशा मुक्ति और आहार शुद्धि पर पारिवारिक स्तर पर ध्यान देने की बहुत जरूरत है। चौथा होता है भजन क्योंकि जब हम आध्यात्मिक अनुष्ठान करेंगे सात्विक विचारों में जिएंगे तभी मानसिक तनाव से मुक्ति मिलेगी और आध्यात्म के माध्यम से हम पारिवारिक मतभेदों को भी सुलझा सकते हैं और आध्यात्मिक उपायों से आनंद की अनुभूति भी कर सकते हैं।
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मुनि श्री सुधाकर जी ने रामायण के प्रसंगों का जिक्र भी अपने प्रवचनों में किया और बताया कि धर्मों के अध्ययन से व्यक्ति धर्म को प्रसस्त करता है। धर्म हमे मार्ग दिखाता है। आइये आपको भी मुनी श्री सुधाकर जी के अम्रत प्रवचनों को सुनाते है। मुनि श्री सुधाकर जी ने बताया है कि परम पूज्य आचार्य महाश्रमण जी ने हम दोनों संतों को पंजाब चंडीगढ़ की तरफ बिहार करने यानी प्रस्थान करने का आदेश प्रदान किया है। ऐसे में अब ग्वालियर से पंजाब चंडीगढ़ के लिए वह प्रस्थान कर रहे हैं।
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