Live In Relation News. देश में आज युवा लिव इन रिलेशन में रहने लगे हैं. कई लोग शादी से पहले तो कई शादी के बाद भी अपने जीवनसाथी को छोड़कर दूसरे के साथ रह रहे हैं. लिव इन रिलेयशन को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने बड़ी टिप्पणी की है. अंतरधार्मिक जोड़े के मामले में अदालत का कहना है कि इस्लाम के अनुयायी लिव इन रिलेशनशिप में नहीं रह सकते. विशेषकर तब, जब वे शादीशुदा हों.

कोर्ट ने कहा कि इस्लाम के सिद्धांत शादीशुदा रहते हुए लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने की अनुमति नहीं देते हैं. अगर शादी नहीं हुई है और दोनों बालिग हैं तो वे अपनी मर्जी से अपना जीवन जीने का विकल्प चुन सकते हैं. उस समय स्थिति अलग हो सकती है. जस्टिस एआर मसूदी और जस्टिस एके श्रीवास्तव की पीठ ने यह फैसला सुनाया. हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के याचिकाकर्ताओं को पुलिस सिक्योरिटी देने से इंकार कर दिया. याचिकाकर्ता अलग-अलग धर्मों के अनुयायी हैं.

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उन्होंने दावा किया है कि वे लिव-इन रिलेशन में रहते थे, लेकिन महिला के माता-पिता ने व्यक्ति के खिलाफ बेटी को किडनैप करने और उस पर शादी करने का दबाव डालने का आरोप लगाते हुए पुलिस को लिखित शिकायत दी थी. इसके बाद लिव इन में रह रहे कपल ने पुलिस सिक्योरिटी मांगते हुए हाईकोर्ट में याचिका दर्ज की. याचिका में बताया गया कि वे दोनों बालिग हैं और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, वे लिव इन रिलेशन में रहने के लिए स्वतंत्र हैं. मर्जी से लिव इन में रह रहे हैं.

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