New Footwear System In India : अभी जूते के आकार के लिए US (अमेरिका) या UK (ब्रिटिश) मानक उपलब्ध हैं, लेकिन अब भारत में जूते के आकार का अपना मानक आने वाला है.  नई आकार प्रणाली को ‘भा’ नाम देने का प्रस्ताव है. चेन्नई में स्थित वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद-केंद्रीय चमड़ा अनुसंधान संस्थान (CSIR-CLRI) ने भारतीयों के पैरों के आकार को रिकॉर्ड करने के लिए एक अखिल भारतीय सर्वे किया, ताकि भारत में निर्मित फुटवियर के लिए एक मानक आकार प्रणाली विकसित की जा सके.  

सर्वे से पता चला कि भारत की जातीय विविधता के लिए कई जूते आकार प्रणालियों की आवश्यकता होगी और इससे यह भी सामने आया कि पूर्वोत्तर भारत के लोगों के पैरों का आकार छोटा होता है. CSIR-CLRI ने एक औसत भारतीय व्यक्ति के पैर के आयाम को बेहतर ढंग से समझने के लिए विभिन्न स्थानों पर 3D स्कैनिंग मशीने स्थापित कीं.

1 लाख से ज्यादा पैरों पर किया गया अध्ययन (New Footwear System In India)

79 स्थानों पर रहने वाले लगभग 1,01,880 भारतीयों के पैरों के आकार का अध्ययन करने के बाद CSIR-CLRI ने पाया कि भारतीय महिलाओं के पैर का आकार लगभग 11 साल की उम्र तक बढ़ता है, जबकि पुरुषों के पैर का आकार लगभग 15-16 साल की उम्र तक बढ़ता है. इसके अतिरिक्त यूरोपीय और अमेरिकियों की तुलना में भारतीय लोगों के पैर चौड़े होते हैं, जिस कारण ऑनलाइन ऑर्डर किए गए ज्यादातर जूते अक्सर भारतीयों के पैरों में फिट नहीं बैठते.

साल 2025 में लागू हो जाएगी ‘भा’ प्रणाली

नई भा प्रणाली का लक्ष्य विभिन्न आयु समूहों और लिंगों के लिए 8 अलग-अलग आकार बनाना है, जो भारत की लगभग 85 प्रतिशत आबादी के लिए एकदम उपयुक्त हों. अब CSIR-CLRI ने उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) को अपनी सिफारिशें प्रस्तुत की हैं.  DPIIT ने इन सिफारिशों को मंजूरी देने के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) को भेज दिया है, जहां से अगर मंजूरी मिल जाती है तो भा प्रणाली साल 2025 तक लागू हो जाएगी.

क्यों पड़ी इसकी जरूरत?

भारत में जूते के साइज के UK मानक की शुरुआत आजादी से पहले अंग्रेजो ने की थी और तब भारतीय पैरों के आकार को लेकर किसी तरह का डाटा नहीं था, जिस कारण लंबे समय तक भारत में UK के आकार के जूते बनते रहे.  हालांकि, अब देश की आबादी बढ़ रही है, जिससे यह विश्व के सबसे बड़े जूते के बाजार में से एक है, इसलिए भा फुटवियर प्रणाली को लाने की योजना है.