कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगवाने वाले करोड़ों लोगों के लिए बड़ी खबर है. खबर ये है कि कोरोना वैक्सीन की पहली और दूसरी डोज के बीच की अवधि को लेकर लोगों के मन में सवाल उठने लगे हैं.

पहले तो कहा गया कि पहली डोज के 4 से 6 हफ्ते बाद दूसरी डोज लेना चाहिए. अब भारत सरकार ने कोविशील्ड की दो डोज के बीच गैप को 4 से 6 हफ्ते की जगह 4 से 8 हफ्ते करने की सिफारिश की है. इसमें कोई शक नहीं कि आबादी के लिहाज से देश में कोरोना वैक्सीन की पर्याप्त उपलब्धता नहीं होने के कारण भी दो डोज के बीच का अंतर बढ़ाया गया है, लेकिन सरकार का दावा है कि वैज्ञानिक अध्ययन के परिणाम भी गैप बढ़ाने के पक्ष में आए हैं.

एनबीटी की रिपोर्ट के मुताबिक वैज्ञानिक अध्ययन इस बात की पुष्टि करते हैं कि कोविशील्ड की पहली डोज के 8 हफ्ते के बाद दूसरी डोज लेना ज्यादा फायदेमंद होता है. उधर, विदेशों में भी दो डोज के बीच गैप को 12 से 16 हफ्ते तक बढ़ाया जा रहा है. यूके में कोविशील्ड की दो डोज के बीच 12 हफ्ते का अंतर रखने की सिफारिश की गई है जबकि कनाडा में 16 हफ्ते का वक्त तय किया गया है.

कोविशील्ड के ट्रायल का क्या रहा नतीजा

यूके, ब्राजील और साउथ अफ्रीका में 17 हजार से ज्यादा लोगों पर ट्रायल किया गया जिसमें पाया गया कि कोविशील्ड की दो डोज के बीच 6 हफ्ते के बजाय अगर 12 हफ्ते का अंतर रखा जाए तो वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी विकसित करने की उसकी क्षमता ज्यादा हो जाती है. आंकड़े बताते हैं कि जिन्होंने कोविशील्ड की दोनों डोज 6 हफ्तों के अंतर में ली उनमें 55% जबकि जिन्होंने 12 हफ्ते में ली उनमें यह 81% असरदायी साबित हुई। यहां तक कि कोविशील्ड की पहली डोज ही तीन से 12 हफ्ते तक 76% प्रभावी साबित हुई।

भारत में क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट्स

भारतीय वैज्ञानिकों के मुताबिक पहली डोज से जो इम्यूनिटी पैदा हुई, वो संभवतः चार से पांच महीने बाद घटनी शुरू होगी. कोविशील्ड वैक्सीन की दो डोजों के बीच का अंतर 4 से बढ़ाकर 12 हफ्ते कर दिया गया. कोवीशिल्ड पर अंतराराष्ट्रीय स्तर पर ट्रायल हुआ और 12 हफ्ते बाद दूसरी डोज देने पर भी यह पूरी तरह कारगर साबित हुआ.