आज़ाद सक्सेना, दंतेवाड़ा। बिना परमिट के वन क्षेत्र से लौह अयस्क के परिवहन पर कार्रवाई करते हुए बीती रात एनएमडीसी के लोडिंग प्लांट में तैनात साइट इंचार्ज को पूछताछ के लिए किरंदुल थाना में लाया गया. वन विभाग की कार्रवाई से परियोजना क्षेत्र में अफरा-तफरी मच गई. मुचलके के बाद देर रात उन्हें छोड़ दिया गया.

एनएमडीसी लोडिंग प्लांट से बिना पिट पास के हाइवा से लौह अयस्क का परिवहन किया जा रहा था. पूर्व में एस्सार के पास हाइवा को पकड़ने के बाद छत्तीसगढ़ वन अधिनियम की धारा के तहत कार्रवाई कर POR काट कर वाहन को जब्त किया गया था. इसके बाद भी एनएमडीसी लोडिंग प्लांट से बिना पिट पास के लौह अयस्क का परिवहन किया रहा था. इस पर वन विभाग ने ड्यूटी में तैनात साइड इंचार्ज आज़ाद पटेल को पूछताछ के लिए थाना लाया गया था.

दरअसल, बिना वन विभाग के पिट पास जारी किए एनएमडीसी लौह अयस्क का परिवहन नहीं किया जा सकता है. वन परिक्षेत्र अधिकारी आशुतोष माडवा ने बताया कि छत्तीसगढ़ वन उपज परिवहन अधिनियम 1969 के तहत सूर्य अस्त से सूर्य उदय तक परिवहन करना वर्जित है. ऐसा करने पर वन विभाग कार्रवाई कर सकता है. यही नहीं अगर दिन में भी कोई भी परिवहन होता है, तो उसके लिए वन विभाग से पिट पास हासिल करना जरूरी है.

थाने में पूछताछ के लिए लाए गए एनएमडीसी लोडिंग प्लांट इंचार्ज.

वहीं किरंदुल थाना में अपने अधिकारी आजाद पटेल को छुड़ाने आए एनएमडीसी के महाप्रबंधक उत्पादन ने कहा कि हमें बिना लिखित सूचना दिए ड्यूटी में तैनात अधिकारी को पूछताछ के लिए थाना लाया गया, जो सरासर गलत है. हालांकि, उन्होंने कैमरे के सामने इस संबंध में कुछ भी कहने से मना कर दिया.

बता दें कि एनएमडीसी और वन विभाग के बीच काफी दिनों से रॉयल्टी टेक्स को लेकर विवाद चल रहा है, जिसकी सुनवाई हाईकोर्ट में चल रही है. एनएमडीसी ने वन विभाग को 48- 48 करोड़ का दो किस्त अदा किया है, लेकिन बाकी की किस्त अब तक नहीं दी गई है. सूत्रों की माने तो राज्य सरकार के दबाव में वन विभाग एनएमडीसी पर लगातार कार्रवाई कर रहा है, जिससे टैक्स वसूला जा सके. मामला न्यायालय में लंबित होने की वजह से एनएमडीसी प्रबंधन भी मजबूर है.

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