रायपुर. 64 वर्षीय बुजुर्ग ने दुर्ग की बैंक ऑफ इंडिया के एक ब्रांच में अपना खाता खोला. बैंक से वह अक्सर ट्रांजेक्शन करता, लेकिन 9 नवंबर 2015 को वह जब एटीएम में पैसे निकालने गया तो उसके खाते से 20 हजार रुपए तो कट गए, लेकिन पैसे उसे नहीं मिले. अब इस मामले में बैंक ऑफ इंडिया को 50 हजार रुपए से अधिक उपभोक्ता को अदा करने होंगे.

जिला उपभोक्ता फोरम दुर्ग ने बुजुर्ग बैंक खाताधारक गंगाधर जाधव के हक में फैसला सुनाते हुए बैंक ऑफ इंडिया पर 20 हजार रुपए का हर्जाना ठोका है. फोरम में खाताधारक ने परिवाद दाखिल किया था, जिसमें उक्त दिनांक पर पद्मनाभपुर स्थित बैंक के ही एटीएम से वह 20 हजार रुपए निकालने गया. लेकिन उसके बैंक खाते से पैसे कट गए, लेकिन राशि नहीं निकली. उपभोक्ता ने तत्काल इसकी शिकायत बैंक में अधिकारियों से की, तो उसे सलाह मिली की वह कम-कम राशि निकाले. उपभोक्ता ने फिर 15 हजार रुपए निकाले, जो निकल गए. इसके बाद उपभोक्ता ने पुनः 5 हजार रुपए निकाले, लेकिन इस बार भी पैसे कट गए लेकिन पैसे एटीएम से नहीं निकले. एक बार पुनः उपभोक्ता ने बैंक से यह लिखित शिकायत की, कि उसके खाते से एक बार 20 हजार रुपए और एक बार 5 हजार रुपए कट गए जो एटीएम से निकले ही नहीं. बैंक ने उपभोक्ता को 7 दिनों के अंदर उसके बैंक खाते में पैसा जमा होने की बात कही. लेकिन उसके बैंक खाते में सिर्फ 5 हजार रुपए ही जमा हुए.

उपभोक्ता जब बैंक गया तो उसे 20 हजार रुपए कटने के संबंध में बैंक से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला, इसके बाद उपभोक्ता ने बैंक ऑफ इंडिया के खिलाफ परिवाद दायर किया. उपभोक्ता ने तर्क दिया कि उसने जो खाता बैंक में खुला है उसमें एक दिन में केवल 25 हजार रुपए की निकासी की जा सकती है और बैंक ने उसके खाते से एक दिन में 40 हजार रुपए डेबिट कर दिए जिसमें से 5 हजार रुपए बाद में उसके बैंक खाते में जमा हुए. उपभोक्ता ने फोरम में यह भी कहा कि उसने बैंक से वहां लगे सीसीटीवी फुटेज भी दिखाने का निवेदन किया, जो उसे नहीं दिखाया गया.

फोरम ने बैंक का तर्क सुनने के बाद उपभोक्ता के हक में फैसला सुनाया है और फोरम ने बैंक को उपभोक्ता के खाते से कटे 20 हजार रुपए 9 प्रतिशत ब्याज के साथ, उसे इस कारण हुई मानसिक क्षति के कारण 20 हजार रुपए बतौर हर्जाना और वादव्यय के रुप में 10 हजार रुपए अदा करने का फैसला सुनाया है. यह फैसला दुर्ग उपभोक्ता फोरम की अध्यक्ष मैत्रेयी माथुर, सदस्य राजेंद्र पाध्ये और श्रीमती लता चंद्राकर द्वारा सुनाया गया है.