धमतरी। छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ ने राज्य सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उसने आत्महत्या करने वाले किसानों के परिजनों को 50 लाख का मुआवज़ा नहीं दिया तो वे हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाएंगे. महासंघ ने 10 जुलाई को आत्महत्या करने वाले किसान संतराम साहू के परिजनों से मुलाकात के बाद कई गंभीर आरोप लगाए हैं.

किसानों का कहना है कि संतराम के बेटे ने उन्हें बताया कि बैंक अधिकारी के व्यवहार से व्यथित होकर संतराम ने खुदकुशी की थी. यहीं नहीं बल्कि एसडीएम ने संतराम के भाई का बयान बदलवा दिया.

पहले बेच चुके थे 8 एकड़ ज़मीन, 5 लाख से ज़्यादा था कर्ज़

महासंघ के सदस्यों ने इतवार को धमतरी जिला के अमलीडीह भखारा आत्महत्या करने वाले किसान संतराम साहू के परिजनों से मुलाकात की. महासंघ के संयोजक मंडल सदस्य डॉ संकेत ठाकुर, रूपन चन्द्राकर, लक्ष्मी नारायण और पुरुषोत्तम चन्द्राकर ने मुलाकात की. महासंघ का कहना है कि संतराम साहू के बेटे ओम प्रकाश साहू ने जानकारी दी उनके पिता के ऊपर चार बैंकों  से अलग अलग  कर्ज ले रखा था जो ब्याज सहित  कुल पांच लाख रुपए से अधिक हो चुका था. 4 बेटियों और 1 पुत्र के पिता संतराम ने अपनी बेटियों की शादी के लिये कर्ज पहले भी लिया था, तब उनके पास 8 एकड़ जमीन थी, कर्ज चुकाने के लिये 2 साल पहले संतराम ने अपनी जमीन बेचीं थी .

आत्महत्या करने से पहले बैंक अधिकारी के व्यवहार से थे संतराम

अपनी जमीन बेचने के बावजूद वे कर्जा का पूरा भुगतान नहीं कर पाए और अब उनके पास सिर्फ सवा एकड़ जमीन बची है.  बैंक अधिकारियों की ओर से लगातार नोटिस दी जा रही थी. किसानों ने बताया कि यूनाइटेड बैंक और ग्रामीण बैंक से संतराम साहू ने क्रमशः रु 1.04 लाख और रु 1.16 लाख  का बैंक का कर्ज ले रखा था. 8 जुलाई को यूनाइटेड बैंक के द्वारा कर्ज के भुगतान नहीं करने की स्थिति में उन्हें एक नोटिस देकर लोक अदालत में बुलाया गया था. उसी दिन ग्रामीण बैंक के अधिकारियों से भी उनकी मुलाकात हुई और उन्होंने भी संतराम पर कर्ज वापसी हेतु दबाव बनाया. बैंक अधिकारियों के व्यवहार से व्यथित होकर और खेती में लगातार हो रहे घाटे को देखकर संतराम को लगा कि वह कर्ज का भुगतान नहीं कर पाएंगे. अंततः उन्होंने फांसी लगाकर 10 जुलाई को आत्महत्या कर ली.

एसडीएम ने तहसीलदार को फटकार लगाकर बयान बदलवाया

किसानो का ये भी कहना है कि संतराम के बड़े भाई ने जानकारी दी की आत्महत्या के पश्चात गांव में तहसीलदार आए थे और उनके पश्चात एसडीएम साहब आए.  तहसीलदार ने जैसा बयान नोट किया था उसे पढ़कर एसडीएम काफी नाराज हुए और उन्होंने बयान बदलवाकर संतराम के भाई के मूल कथन को बदल दिया और यह जुड़वा दिया कि संतराम सट्टा खेलने की आदत थी.  एसडीएम के इस व्यवहार से संतराम के परिजनों में गहरा आक्रोश देखा गया.