हरीश शर्मा, ओंकारेश्वर। सिंहस्थ 2028 में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सैकड़ों वर्ष पुराने वृक्षों को धराशाई किया जा रहा है। जिसके चलते 12 किलोमीटर के दायरे में सड़क मार्ग पर दोनों तरफ की हरियारी नहीं दिखाई देगी। दरअसल सरकार के द्वारा ओंकारेश्वर से मोरटक्का 12 किलोमीटर सड़क मार्ग चौड़ा कर फोरलेन में परिवर्तित करने का काम शुरू हो गया है।
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मध्य प्रदेश सरकार के लोक निर्माण विभाग के द्वारा इसे बनाया जाएगा लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें जो वृक्ष काटे जाएंगे उनकी भरपाई कैसे होगी इस विषय को लेकर जब पूरी जानकारी निकाली तो सड़क के दोनों और सैकड़ों वर्ष पहले लगाए गए अनेक प्रजाति के वृक्ष को धराशाई किया जा रहा है। मामले को लेकर वन विभाग के डिप्टी रेंजर आनंद राम खांडेकर ने कहा कि, सड़क के दोनों ओर 12 किलोमीटर के दायरे में ढाई हजार वृक्षों को काटा जा रहा है। सभी वृक्षों की कटाई के बाद वनविभाग के डिपो में भेज दिया जाएगा। इसकी वृक्षों की काटने की मंजूरी वन विभाग ने दी है।
एक वृक्ष काटने पर 10 वृक्ष लगाना होगा
वन विभाग खंडवा ने वृक्षों को काटने की अनुमति इस शर्त पर दी है कि जो वृक्ष काटेंगे उतने ही वृक्षों को 10% प्रतिशत अन्य स्थानों पर लगाना होगा। इसके लिए विभाग को पैसा भी पीडब्ल्यूडी जमा करवाना होगा। जिसकी कार्रवाई पूरी हो गई है
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श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बनाया जा रहा है सड़क मार्ग
लोकनिर्माण विभाग के सब इंजीनियर अखिलेश कानूनगो ने बताया कि, मध्य प्रदेश सरकार आने वाले सिंहस्थ 2028 में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए ओंकारेश्वर से मोरटक्का तट 12 किलोमीटर तक सड़क को बनाने का कार्य शुरू कर दिया है। मोरटक्का से कटार 3 किलोमीटर जमीन अधिग्रहण कार्रवाई भी राजस्व विभाग पीडब्ल्यूडी विभाग मिलकर पूरी कर ली है। किसानों को नोटिस दे दिए है जल्दी ही सभी को मुआवजा राशि उनके बैंक अकाउंट में जमा कर दी जाएंगी।
नेशनल हाईवे से जोड़ने के लिए चार लाइन मार्ग बनाया जाएगा
अखिलेश कानूनगो ने बताया कि, इंदौर खंडवा इच्छापुर सड़क मार्ग नेशनल हाईवे 4 लाइन में बनाया जा रहा है। ओंकारेश्वर मोरटक्का कटार मार्ग को जोड़ दिया जाएगा। इसका निर्माण कार्य 2026 तक संपूर्ण होना है। इसकी कुल लागत 195 करोड़ है। लेकिन सबसे बड़ा प्रश्न यह उठता है कि इतनी बड़ी संख्या में जो वृक्ष काटे जाएंगे उनकी भरपाई हो पाएगी? क्योंकि जब सड़क मार्ग भी नहीं बना था कच्चा मार्ग था उस समय लोगों ने ओंकारेश्वर जाने वाले श्रद्धालुओं को छांव से बचाने के लिए अधिकतर निम, पीपल, बरगद के पेड़ लगाए थे। मुख्य उद्देश्य था कि गर्मी बारिश से लोगों को बचाव होगा। धीरे-धीरे यह वृक्ष इतने बड़े हो गए की सड़क के दोनों और आपस में एक दूसरे से मिल गए।
सड़क के दोनों और फैली हरियाली को देखकर लोगों को बड़ा सुकून मिलता था। कई लोगों ने इन वृक्षों को बचाने की पूरी कोशिश की। लेकिन सरकार ने इस दिशा में कोई भी सकारात्मक कम नहीं उठाएं। चार लाइन सड़क तो बन जाएगी सड़क के दोनों और वृक्षों को भी लगा दिया जाएगा। लेकिन जितने बड़े वृक्ष काटे हैं उनको बड़े होने में काम से कम 100 वर्ष का समय लगेगा।
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