गाड़ी के टायरों पर ही उसका कंट्रोल, माइलेज, बैलेंस और हैंडलिंग जैसी बातें निर्भर करती हैं, तो ये बहुत ज्यादा मायने रखता है कि आपकी गाड़ी में कैसे टायर लगे हैं और वो वर्तमान में किस स्थिति में हैं. समय के साथ गाड़ी के कई पाट्रर्स को बदलने की जरूरत पड़ती है. टायर भी उनमें से एक हैं. हर गाड़ी के टायर की एक एक्सपायरी डेट होती है, टायर की उम्र आमतौर पर उसके इस्तेमाल पर निर्भर करती है.

यहां होती है टायर की एक्सपायरी डेट!

आमतौर पर टायर दो प्रकार के होते हैं पहले ट्यूब वाले टायर और दूसरे ट्यूबलेस टायर. वर्तमान में लगभग सभी ऑटोमोबाइल कंपनियां नए वाहनों में ट्यूबलेस टायर लगाकर ही दे रही हैं. आप चाहें तो ट्यूब वाले टायर डिमांड करके लगवा सकते हैं. आपने देखा होगा कि टायर के किनारों पर एक कोड लिखा होता है, जिसपर टायर की पूरी जानकारी दी गई होती है. जैसे टायर की लंबाई, चौड़ाई, व्यास, वजन उठाने की क्षमता, अधिकतम स्पीड लिखी गई होती हैं. Read More – सर्दियों का मौसम में अदरक, अंडा, सूप और दूध का करें सेवन, शरीर में बढ़ाती है अंदरूनी गर्मी …

कब बदलें गाड़ी का टायर

कुछ संकेत हैं जिनके जरिए आप जान सकते हैं कि गाड़ी के टायर अभी बदलना है या नहीं. कार के टायर की एक औसत उम्र की बात करें तो 30 हजार से 50 हजार किलोमीटर के बाद हमें गाड़ी का टायर बदल लेना चाहिए. हालांकि आप टायर में दिए गए एक इंडीकेटर के जरिए भी सही समय का पता लगा सकते हैं. आपने देखा होगा कि टायर समतल नहीं होता, इसमें कुछ खांचे बने होते हैं.

ऐसे समझे टायर बदलने का समय

इन खांचों के बीच एक ट्रेड वियर इंडिकेटर होता है. नए टायर में इसकी गहराई 8 मिलीमीटर होती है और 80 टन घिसाव के बाद 1.6 मिमी रह जाती है. जब सड़क के सम्पर्क में रहने वाला पार्ट घिसकर इस इंडिकेटर को छूने लगे तो समझ जाइए टायर बदलने का समय आ गया है. Read More – National Epilepsy Day : चप्पल-जूता सुंघाने से नहीं, सही इलाज से 70 फीसदी ठीक हो जाते हैं मिर्गी रोगी …

इसके अलावा अगर टायर में टूट-फूट हो चुकी है तो उस स्थिति में भी आपको टायर बदल लेना चाहिए. साथ ही अगर टायर में आधा सेंटीमीटर से ज्यादा का छेद हो जाए तो टायर बदल देना चाहिए. पूरी गाड़ी के साथ-साथ टायरों का भी उचित ध्यान रखना जरूरी है और इसके लिए आपको कार के टायर की ठीक प्रकार से जानकारी होना भी बहुत ज्यादा जरूरी है.