संतकबीरनगर. एक बुजुर्ग किसान सिस्टम का शिकार हो गया. 6 साल पहले उसे दस्तावेजों में मृत घोषित कर दिया. इसके बाद खुद को जीवित साबित करने के लिए दफ्तरों का चक्कर काट रहा था. आखिरकार पीड़ित किसान ने कचहरी में दम तोड़ दिया. वह यहां जिंदा होने का सबूत देने आया था.

धनघटा तहसील में पहुंचे बुजुर्ग किसान की हुई मौत हो गई. वह अभिलेखों में खुद को जिंदा दिखाने आया था. बताया जा रहा है कि 6 साल पहले कागजों पर उसे मृत घोषित कर दिया गया था. इस मामले में जिलाधिकारी ने जांच का आदेश दिया है. जांच के लिए 3 सदस्यों की टीम बनाई गई है. मौत के बाद प्रशासनिक सिस्टम पर बड़ा सवाल उठ रहा है. वहीं, इस घटना से तहसील प्रशासन के हाथ पैर फूल गए क्योंकि सरकारी कागज में उसे पहले ही मृत घोषित कर दिया गया था. जिसके लिए वह लगातार 6 सालों से अधिकारियों के कार्यालय का चक्कर लगा रहा था.

संतकबीरनगर जिले के धनघटा तहसील क्षेत्र के कोडरा गांव निवासी और मृतक खेलई के बेटे पन्ने लाल का कहना है कि उनके पिता खेलई और फेरई दो भाई थे. फेरई की वर्ष 2016 में मौत हो गई. उसके बाद लेखपाल ने खेलई को मृतक दिखाकर उनकी प्रॉपर्टी फेरई के बेटे छोटेलाल, चालू राम, हर्षनाथ और उनकी पत्नी सोमारी देवी के नाम से वरासत कर दी. जिसकी जानकारी वर्ष 2017 में पिता खेलई को हुई. इसके बाद वह अपने को जिंदा बताते हुए भतीजों के नाम की गई प्रॉपर्टी को अपने नाम कराने के लिए तहसील का चक्कर लगाने लगे. पन्नालाल का कहना है कि वर्ष 2017 से अब तक पिताजी अपनी जमीन पाने के प्रयास में संपूर्ण समाधान दिवस समेत अधिकारियों के वहां फरियाद करते चले आ रहे थे.

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इधर गांव में चकबंदी शुरू हो गई तो चकबंदी कार्यालय का चक्कर काटना शुरू कर दिए. मंगलवार को चकबंदी विभाग के सीओ के पास बयान दर्ज कराने आए थे. लेकिन बयान दर्ज नहीं हो पाया था. उन्होंने बताया कि मृतक चलने फिरने में भी असमर्थ थे. उनको दूसरों का सहारा लेना पड़ता था. बुधवार को दोबारा उनको तहसील बुलाया गया था, चकबंदी विभाग के सीओ को बयान देने के लिए तहसील में आए थे, लेकिन बयान देने के पहले ही उनकी मौत हो गई.

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