लखनऊ. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के बीचोंबीच मौजूद हज हाउस की दीवारों को भगवा रंग से रंगे जाने के मामले पर प्रदेश की भाजपा सरकार की खासी किरकिरी हुई. हर तरफ सरकार की हुई छीछालेदर के बाद सूबे की भाजपा सरकार बैकफुट पर आ गई. आनन-फानन में सरकार के मंत्री को इस मामले पर सामने आकर सफाई देनी पड़ी. इतना ही नहीं भारी विरोध के चलते रातों रात हज हाउस का रंग भगवा से हटाकर पीले रंग से कर दिया गया.

अब इस मामले में नया मोड़ आ गया है. हज हाउस की चारदीवारी को केसरिया रंग से रंगे जाने के बाद राज्य सरकार ने समिति के सचिव को उनके पद से हटा दिया है. इतना ही नहीं सरकार ने अब हज कमेटी से पूछा है कि आखिर हज हाउस का भगवा रंग क्यों हटवाया गया. अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की प्रमुख सचिव मोनिका एस.गर्ग द्वारा जारी आदेश में न सिर्फ हज समिति के सचिव आर.पी.सिंह को तुरंत हटा दिया गया है बल्कि इनके स्थान पर अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के सहायक निदेशक विनीत श्रीवास्तव को तैनात कर दिया गया है.

गौरतलब है कि भगवा रंग से हज हाउस की दीवारों को रंगे जाने पर हुई फजीहत के बाद सरकार ने आनन फानन में भगवा रंग बदलवा दिया था. सरकार ने उल्टा हज समिति से ये सवाल पूछा कि किसके आदेश से भगवा रंग से हज हाउस को रंगा गया था. अब मामले के शांत होते ही सरकार ने उल्टा हज समिति से पूछा है कि किसकी इजाजत से भगवा रंग को हटाया गया. जाहिर है इस पूरे ड्रामे के बाद सरकार ने बलि का बकरा बनाने के लिए हज समिति के कर्ता धर्ताओं को चुन लिया है. इस पूरे एपिसोड में ये बात साफ हो गई है कि सूबे की योगी सरकार ने पहले तो हज हाउस को भगवा रंग से रंगने का फरमान दिया औऱ किरकिरी के बाद रंग बदलवा दिया अब मामले के शांत होते ही फिर बलि का बकरा बनाने के लिए सरकार ने मोहरे चुन लिए हैं. देखना है अभी इस मामले में कितनों की बलि चढ़ती है.