सोशल मीडिया कंटेंट डेस्क. देशभर में बकरीद का जश्न मनाया जा रहा है. सोशल मीडिया पर भी लोग बकरीद और ईद-उल-अजहा से जुड़े बधाई संदेश शेयर कर रहे हैं. वहीं कई लोग कुबार्नी को लेकर फनी मीम भी शेयर कर रहे हैं.
यूपी के योगी आदित्यनाथ और कई मौलवियों द्वारा कुबार्नी से जुड़ी सेल्फी शेयर नहीं करने की अपील का थोड़ा असर जरूर दिखा है. हालांकि कई लोग कुबार्नी से जुड़े मीम शेयर करने में पीछे नहीं हटे हैं.
लोग वट्सऐप और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जमकर मीम शेयर कर रहे हैं.
इस बकरीद लोगों ने बकरियों के दिल में क्या बीत रही है ये भी इन दिनों सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रा है औऱ इसे भी लोग शेयर कर रहे हैं.
कुछ मीम पिछले साल के भी शेयर हो रहे हैं.
वहीं कई मीम को इस साल खासतौर पर बकरीद के लिए तैयार किया गया है.
इन मीम में बकरों से जुड़े ज्यादातर फोटोज शेयर हो रहे हैं.
कुछ मीम में बकरों की फिलिंग बताने की कोशिश की गई है.
वहीं कुछ मीम में कुबार्नी के बकरों की कीमत पर तंज कसा गया है.
आपको बता दें कि इस्लाम धर्म में हर साल दो बड़े त्योहार मनाए जाते हैं. एक ईद-उल-फित्र तो दूसरा ईद-उल-अजहा. आज देश भर में ईद-उल-अजहा का त्योहार मनाया जा रहा है.
ईद-उल-अजहा के मौके पर मुस्लिम धर्म में नमाज पढ़ने के साथ-साथ जानवरों की कुर्बानी भी दी जाती है. इस्लाम के अनुसार, कुर्बानी करना हजरत इब्राहिम की सुन्नत है, जिसे अल्लाह ने मुसलमानों पर वाजिब कर दिया है.
ईद-उल-अजहा का जश्न 3 दिन तक बड़ी धूम से मनाया जाता है. इसी हिसाब से कुर्बानी का सिलसिला भी ईद के दिन को मिलाकर तीन दिनों तक चलता है. ईद के मौके पर बाजारों की रौनक देखने को बनती है.
कुछ मीम में स्थानीय इलाकों का भी जिक्र किया गया है.
आपको बता दें कि ‘कर चले हम फिदा’ गाने के लिरिक्स बदल कर बनाए गए मीम को कई लोगों ने शेयर किया है.
मुस्लिम धर्म के लोग अल्लाह की रजा के लिए कुर्बानी करते हैं. इस्लाम के मुताबिक, सिर्फ हलाल तरीके से कमाए हुए पैसों से ही कुर्बानी जायज मानी जाती है.
यह त्योहार हर साल इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक, धू-अल-हिज्जा की 10 तारीख को बकरीद मनाई जाती है.
वहीं कुछ मीम में बकरों के गुस्से होने के वीडियो शेयर किए गए हैं.
साथ ही कुछ मीम में बकरीद पर केक काटने की पहल का मजाक बनाते हुए भी फोटो शेयर किया गया है.
वहीं कुछ मीम बकरों की कुबार्नी रोकने की मुहिम का मजाक उड़ाते हुए बने हैं.
आपको बता दें कि इस्लाम में कुर्बानी के गोश्त के तीन हिस्से करने का हुक्म दिया गया है, जिसमें एक हिस्सा गरीबों के लिए होता है. दूसरा हिस्सा दोस्त और रिश्तेदारों में तकसीम किया जाता है. वहीं, तीसरा हिस्सा अपने घर के लिए होता है.