कुमार इंदर, जबलपुर। मध्य प्रदेश में नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़ा मामले में फंसे कॉलेजों को बैकडोर से एंट्री देने की कोशिश की खबर है। कॉलेजों को मान्यता देने बनाए गए नए नियमों में विसंगति का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। जनहित याचिका पर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की जस्टिस संजय द्विवेदी एवं जस्टिस अचल कुमार पालीवाल की युगल पीठ ने सुनवाई की।

याचिकाकर्ता लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता दीपक तिवारी ने हाईकोर्ट को बताया कि मध्यप्रदेश सरकार द्वारा नर्सिंग शिक्षण संस्था मान्यता नियम 2024 बनाए गए हैं। जिसमें नए कॉलेज खोलने अथवा पुराने कॉलेजों की मान्यता नवीनीकरण हेतु अब जहां पुराने नियमों में 20 हज़ार से 23 हज़ार वर्ग फीट अकादमिक भवन की अनिवार्यता होती थी। उनके स्थान पर नए नियमों में मात्र 8000 वर्ग फीट बिल्डिंग में ही नर्सिंग कॉलेज खोले जा सकेंगे। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि पिछले दो वर्षों में हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई जांच हुई है।

जिसके परिणाम स्वरूप प्रदेश के 66 नर्सिंग कॉलेज अनसूटेबल पाये गये हैं जिसमें सरकारी कॉलेज भी शामिल है। सरकार ने इन्हीं नर्सिंग कॉलेजों को नए सत्र से बैकडोर एंट्री देने के लिए नए नियमों में शिथिलता दी है, क्योंकि नर्सिंग से संबंधित मानक एवं मापदंड तय करने वाली अपेक्स संस्था इंडियन नर्सिंग काउंसिल के रेग्युलेशन 2020 में भी स्पष्ट उल्लेख है कि 23,200 वर्गफ़ीट के अकादमी भवन युक्त नर्सिंग कॉलेज को ही मान्यता दी जा सकती है। उसके बावजूद आईएनसी के मानकों के विपरीत जाकर सरकार ने नए नियम अपात्र कॉलेजों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से बनाए हैं।

हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई तक मांगा जवाब

राज्य शासन एवं नर्सिंग काउंसिल की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता प्रशांत सिंह, अतिरिक्त महाधिवक्ता भरत सिंह, अभिजीत अवस्थी ने तर्क दिये कि नये नियम बनाने के अधिकार राज्य शासन को है इसलिए इन्हें ग़लत नहीं कहा जा सकता है और याचिकाकर्ता के आरोपों पर जवाब देने के लिए हाईकोर्ट से समय की मांग की लेकिन हाईकोर्ट ने नये नियमों में की गई शिथिलता के संबंध में आश्चर्य व्यक्त करते हुए महाधिवक्ता की अंडरटेकिंग रिकॉर्ड पर लेते हुए अगली तिथि तक जबाब पेश करने को कहा, इस मामले में महाधिवक्ता ने अंडरटेकिग दी है कि यदि अगली सुनवाई के पहले सत्र 2024-25 की मान्यता प्रक्रिया शुरू की गई तब भी नये नियमों को लागू नहीं किया जाएगा अर्थात् अधोसंरचना संबंधी मापदंड पूर्ववत ही रहेंगे और सरकार अगली सुनवाई तक नए नियमों के संबंध में अपना जबाब पेश करेगी अब मामले की अगली सुनवाई 2 अप्रैल को होगी।

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