किसी कुंडली में मंगल के प्रभाव को अधिक बल प्रदान करने के लिए मंगल यंत्र (Mangal Yantra) को स्थापित किया जाता है. यदि आपकी कुंडली में मंगल नकारात्मक और अशुभ हैं, तो आपको मंगल रत्न धारण करने की बजाय मंगल यंत्र को स्थापित करना चाहिए.

मंगल यंत्र के द्वारा कुंडली में अशुभ मंगल द्वारा बनाए जा रहे मांगलिक दोष के निवारण के लिए मंगल यंत्र की सहायता ली जाती है. बता दें कि मांगलिक दोष होने पर जातक को वैवाहिक जीवन में कई कष्टों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में याद रखें कि लाल मूंगा ना पहने क्योंकि इससे मांगलिक दोष का प्रकोप और बढ़ जाता है.

इस यंत्र के शुभ प्रभाव से जातक के बल और पराक्रम में वृद्धि होती है. जातक मानसिक रूप से भी अधिक सक्षम हो जाता है. जिसके कारण जातक अनेक प्रकार के कार्यों को पहले की अपेक्षा अधिक सहजता और कुशलता से करने में सक्षम हो जाता है. मंगल यंत्र (Mangal Yantra) के शुभ प्रभाव से भाइयों और मित्रों के साथ संबंध मधुर बने रहते हैं और जीवन में उन्नति मिलने के योग बढ़ जाते हैं.

इसके अतिरिक्त इस यंत्र का इस्तेमाल जादू टोने के दूर करने के लिए भी किया जाता है. मंगल यंत्र के शुभ प्रभाव से जातक के मान- सम्मान और प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है. जिन महिलाओं के गर्भ धारण करने के में समस्या पैदा हो रही है तो उन्हें मंगल यंत्र का पूजन करना चाहिए. जिन व्यक्तियों को रक्त प्रदर, रक्त दोष, किसी प्रकार का ज्वर, खुजली, मासिक धर्म संबंधी समस्या और अल्सर जैसे रोगों के निवारण के लिए मंगल यंत्र काफी कारगर सिद्ध होता है.

मंगल यंत्र स्थापना विधि

मंगल यंत्र (Mangal Yantra) को स्थापित करने के लिए सबसे पहले प्रातकाल उठकर स्नानादि के बाद इस यंत्र को सामने रखकर 11 या 21 बार मंगल के बीज मंत्र ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम: का जाप करें. तत्पश्चात यंत्र पर गंगाजल छिड़के और मंगल महाराज से हाथ जोड़कर प्रार्थना करें कि वह अधिक से अधिक शुभ फल प्रदान करें. मंगल यंत्र स्थापित करने के पश्चात इसे नियमित रूप से धोकर इसकी पूजा करें ताकि इसका प्रभाव कम ना हो.

मंगल यंत्र मंत्र –  ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:

ऐसा माना जाता है कि गुड़हल के फूल के शुरूआती भाग में ब्रह्मा का वास होता है. वहीं मध्य के भाग में भगवान विष्णु का वास होता है और अंतिम भाग में भगवान महेश यानी भगवान शिव का वास होता है और अंकुरण भाग खुद शक्ति का स्वरुप माता दुर्गा का वास होता है. लाल रंग को उत्साह, उर्जा और शक्ति का प्रतीक माना गया है. तंत्र साधना में भी गुड़हल के फूलों का बेहद महत्व होता है, इस साधना में भी फूलों की संख्या ध्यान में रखते हुए मंत्रोच्चार से विभिन्न दोषों को दूर किया जा सकता है.

लाल रंग के गुडहल के पुष्प असीम शक्ति और उर्जा के प्रतीक माने जाते है. इन फूलों के माध्यम से भक्तो के घर में सकारात्मक उर्जा का संचार करती है. फूल श्रद्धा और भावना का प्रतीक होते हैं. इसके साथ ही ये हमारी मानसिक स्थितियों को भी बताते हैं. गंध, लाल अक्षत के साथ ही मंत्र के साथ लाल फूल समर्पित कर अशांति और आर्थिक परेशानियों को दूर करने की प्रार्थना करने से जीवन सुख समृधि से पूर्ण हो सकता है.

पूजा में गुड़हल का फुल उपयोग कर विभिन्न प्रकार से लाभ पाया जा सकता है. अगर आप किसी कानूनी मामले में लम्बे समय से फंसे है तो आपको अपने घर में गुड़हल का का पौधा लगाना चाहिए. इसे घर में लगाने से कानून संबंधी सभी काम पूरे हो जाते हैं.

अत्यंत ऊर्जावान माना जाता है गुड़हल का फूल

– देवी और देव की उपासना में इसका विशेष प्रयोग होता है.

– नियमित रूप से गुड़हल अर्पित करने से शत्रु और विरोधियों से राहत मिलती है.

– सूर्य जो, गुड़हल का फूल डालकर जल अर्पित करने से सूर्य की कृपा मिलती है.

– हर तरह की शारीरिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है.