छत्तीसगढ़ राज्य पॉवर कंपनी में पुरानी पेंशन योजना (OPS) बहाल करने की मांग को लेकर कंपनी के अधिकारी और कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के आह्वान पर शुक्रवार को एक दिवसीय सामूहिक अवकाश पर रहेंगे. 9 विभिन्न युनियन/ संगठनों से जुड़े प्रदेश भर के करीब 9 हजार अधिकारी कर्मचारी अवकाश पर रहकर प्रबंधन तक अपनी बात पहुंचाएंगे.

कार्यालयीन अधिकारी और कर्मचारी के साथ ही बड़ी संख्या में मैदानी अमले के सामूहिक अवकाश में शामिल होने से बिजली आपूर्ति बाधित होने की आशंका है. इस बीच कंपनी प्रबंधन द्वारा सामूहिक अवकाश पर रहने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई का परिपत्र जारी किया गया है. परिपत्र को कर्मचारी संगठनों ने अनुचित और श्रम कानूनों का उल्लंघन बताया है.

इससे पहले अपनी मांगों को लेकर छग.रा.वि.मं. पत्रोपाधि अभियंता संघ, छ.ग.स्टे.पा.कं. आफिसर्स एसोसिएशन, छ.रा.वि.मं. आरक्षित वर्ग अधि/ कर्म.संघ, छ.रा.वि. कर्म. जनता यूनियन, छ.ग. विद्युत कर्म. संघ (फेडरेशन), विद्युत कर्म. संघ (फेडरेशन), छ.ग. तक. विद्युत कर्म. एकता यूनियन, छ.रा.पा.क. डॉक्टर एसोसिएशन और छ.ग.स्टे.पा.कं. स्टेनोग्राफर एसोसिएशन के संयुक्त मोर्चा के आह्वान पर कर्मी 16 जुलाई 2023 से विरोध प्रर्दशन करते हुए काली पट्टी लगाकर कार्य कर रहे हैं. इसके साथ ही 28 जुलाई 2023 को पुरानी पेंशन योजना लागू किए जाने की मांग को लेकर कंपनी मुख्यालय में बड़ी आमसभा कर चुके हैं.

मोर्चा की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि सामूहिक अवकाश के बाद भी कंपनी प्रबंधन द्वारा पुरानी पेंशन योजना (OPS) बहाल करने के संबंध में सकारात्मक निर्णय नहीं लिया जाता है, तो कंपनी के अधिकारी-कर्मचारी 6 सितंबर 23 से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने को बाध्य होंगे. उल्लेखनीय है कि कांग्रेस शासित राज्यों में राजस्थान, हिमांचल आदि प्रदेशों में राज्य शासन के कर्मचारियों के साथ-साथ संबंधित राज्य की पॉवर कंपनियों में भी पुरानी पेंशन योजना बहाल की जा चुकी है. उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य शासन के 3 लाख से अधिक कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजन पहले ही लागू कर दी है. वहीं पावर कंपनी प्रबंधन द्वारा एन.पी.एस. वाले कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन लागू ना करके कुछ मामलों में केन्द्र सरकार के निर्णयानुसार 23 दिसंबर, 2003 के पूर्व विज्ञापित पदों पर नियुक्त कर्मियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ देने का निर्णय लिया है. इस प्रकार पावर कंपनी प्रबंधन मनमर्जी से एन.पी.एस. वाले राज्य विद्युत कर्मियों के हितों के साथ खिलवाड़ करते हुए केन्द्र और राज्य दोनों में लागू होने वाले कम लाभप्रद नियमों को ही खिचड़ी बनाकर लागू कर रहा है.

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