रायपुर। रेडक्रॉस सोसायटी निःस्वार्थ मानव सेवा का सर्वोत्तम प्लेटफॉर्म है. कोविड-19 के समय रेडक्रॉस सोसायटी के वालेंटियरों ने जोखिम भरी परिस्थितियों में जिस समर्पण भाव से काम किया वह काबिले तारीफ है. रेडक्रॉस सोसायटी मानव सेवा को अपना मूलमंत्र मानकर कार्य करता है. रेडक्रॉस का नाम लेते ही सबसे पहले मन में दीनदुखियों और पीड़ितों की सेवा करने वाली तस्वीर उभर कर आ जाती है. रेडक्रॉस सोसायटी ने पूरे विश्व में प्राकृतिक आपदाओं और युद्ध इत्यादि के समय सेवा कर मानवीय सेवा भावना का अतुलनीय उदाहरण प्रस्तुत किया है. यह बात इंडियन रेडक्रॉस सोसायटी छत्तीसगढ़ की अध्यक्ष राज्यपाल अनुसुईया उइके ने आज राजभवन के दरबार हॉल में आयोजित इंडियन रेडक्रॉस सोसायटी छत्तीसगढ़ के राज्यपाल सम्मान समारोह के दौरान अपने संबोधन में कही. राज्यपाल ने कोविड-19 के तहत उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रथम पुरस्कार जगदलपुर जिला को, द्वितीय पुरस्कार धमतरी और राजनांदगांव जिला और तृतीय पुररस्कार बालोद और सूरजपूर जिला को दिया गया.

राज्यपाल ने कहा कि रेडक्रॉस सोसायटी जिला स्तर पर अच्छा कार्य कर रही है. अब इनकी सेवाओं का विस्तार करते हुए विकासखण्ड स्तर तक ले जाने की आवश्यकता है. विकासखण्ड स्तर में कई बार वहां के नागरिकों को एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं हो पाती, उन्हें शव वाहन की भी आवश्यकता रहती है. उन्होंने सुझाव दिया कि रेडक्रॉस सोसायटी विकासखण्ड स्तर पर एंबुलेंस और शव वाहन की सुविधा उपलब्ध कराए, आवश्यकता पड़ने पर सांसद और विधायकों से भी उनके निधि से सहयोग देने का आग्रह करें. इसके लिए जिला कलेक्टर और अन्य अधिकारी भी पहल करें. यह ऐसा कार्य है जिससे गरीबों और जरूरतमंदों को बड़ी राहत मिलती है. वे जब राज्यसभा सांसद थी, तो अपने निधि से विकासखण्ड स्तर पर मध्यप्रदेश में एंबुलेंस सेवा शुरू करवाई थी. साथ ही उनके द्वारा विभिन्न चौक-चौराहों पर धूप-बरसात से बचने के लिए शेड का भी निर्माण कराया गया था. यह शेड आज भी विभिन्न स्थानों पर मौजूद हैं, जिनके नीचे नागरिकों को आराम करते देख मन को बड़ा सुकून मिलता है. ऐसे सेवाभावी कार्यों से जनता मन से आशीर्वाद देती है.

उइके ने कहा कि भारतीय संस्कृति में मानव सेवा को सबसे प्रथम स्थान दिया गया है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी सेवा कार्य के लिए सदैव तत्पर रहने कहते थे और उन्होंने स्वयं एक वालेंटियर के रूप में घायलों की सेवा की। हमारे देश में कई सेवा आश्रम कार्यरत हैं, जैसे रामकृष्ण मिशन, जिनकी सेवा कार्य से आदिवासी अंचल में कई लोग लाभान्वित हो रहे हैं। उसी तरह जांजगीर-चांपा जिले में भारतीय कुष्ठ निवारण संघ के सोठी कुष्ठ आश्रम में जो सेवा भाव से काम किए जा रहे हैं, वह प्रेरणादायी है। राज्यपाल ने कहा कि प्रदेश में सक्रिय स्वयंसेवकों की संख्या बढ़़नी चाहिए, जो आजीवन सदस्य हों किसी अन्य श्रेणी में उन्हें भी सक्रिय करें। जल्द ही प्रबंध समिति का पुनर्गठन करें। उन्होंने सुझाव दिया कि रेडक्रॉस का विस्तार आदिवासी बहुल इलाकों में किया जाए और वहां पर जेनेरिक दवाओं की दुकानें भी प्रारंभ की जाए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि रेडक्रास सोसायटी द्वारा मोबाइल मेडिकल वैन प्रारंभ की जाए, जिसके द्वारा हाट बाजारों और दूरस्थ क्षेत्रो जाकर जरूरतमंद ग्रामीणों की निःशुल्क चिकित्सकीय परीक्षण किया जाए, इससे ग्रामीणों को छोटी-छोटी बीमारियों के बारे में जानकारी मिलेगी।

इंडियन रेडक्रॉस सोसायटी छत्तीसगढ़ के चेयरमेन सोनमणि बोरा ने कहा कि रेडक्रास सोसायटी के चेयरमेन का दायित्व मिलने के बाद अल्प समय में अधिक से अधिक कार्यों को मूर्त रूप देने का प्रयास किया गया। हमारे वालेंटियरों ने कोविड-19 के समय आगे बढ़कर हर मोर्चे पर कार्य किया चाहे वह मास्क-सेनेटाइजर का वितरण कार्य हो, या सामाजिक दूरी के लिए गोल निशान बनाना हो या भोजन वितरण करना हो। उन्होंने कहा कि आंकड़ों के अनुसार करीब 1200 वालेंटियरों ने जिला प्रशासनों के साथ समन्वय बनाकर सक्रिय योगदान दिया। यह ऐसी संस्था है जहां के वालेंटियर बिना किसी अपेक्षा तथा निःस्वार्थ भाव से कार्य करते हैं। यह पुरस्कार उनके सेवा भाव का सम्मान है। बोरा ने कहा कि जल्द ही विकासखण्ड स्तर पर इकाई का गठन किया जाएगा और इस स्तर पर भी जेनेरिक दवा दुकानों को प्रारंभ करने का प्रयास किया जाएगा।