अभिषेक सेमर, तखतपुर। बिलासपुर जिले का तखतपुर एक ऐसा शहर है. जहां एक क्षेत्र का नाम रावण भाठा है और बाकायदा भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और हनुमान के साथ रावण की भी प्रतिमा विराजमान है. हर दिन पूजा करने के लिए आने वाले श्रद्धालु भगवान श्रीराम के साथ रावण की भी पूजा करते हैं.

तखतपुर में पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित शिव का विशाल मंंदिर है. माना जाता है कि तख्तेश्वर महादेव के नाम से जाने जाने वाले इस मंदिर के नीचे से मां महामाया रतनपुर तक एक सुरंग थी, जिसके जरिए तखतपुर के राजा तख्तेश्वर सिंह रतनपुर पूजा-अर्चना के लिए जाया करते थे. आज भी आसपास क्षेत्र की खुदाई के दौरान पुराने बर्तन, औजार, श्रृंगार सामग्री सहित अन्य पुरातात्विक महत्व की सामग्रियां निकलते हैं.

तख्तेश्वर महादेव मंदिर के बाहर 25 फीट की भगवान शिव की विशाल प्रतिमा भी स्थल पर मौजूद है. पूरे श्रावण मास के दौरान और शिवराात्रि पर यहां पर लगने वाले मेले के दौरान भी रावण की प्रतिमा की पूजा की जाती है. स्थल से कुछ दूर पर स्थित मां किलावाली चण्डी मंदिर भी काफी ख्याति प्राप्त है.

यहां प्रतिवर्ष दशहरे के दिन इस रावण भाठा स्थल पर गुप्ता समाज की ओर से रावण दहन का कार्यक्रम रखा जाता है. समाज के अध्यक्ष बसंत गुप्ता ने बताया कि स्व. दुर्गा प्रसाद गुप्ता द्वारा रावण भाठा स्थल पर क्षेत्र के लोगों की धार्मिक भावनाओं को ख्याल में रखते हुए रावण भाठा परिसर में भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी के साथ रावण की प्रतिमा बनवाई गई थी.

इस संबंध में इतिहासविद् श्रीकांत मिश्रा ने बताया कि हमारी संस्कृति और सभ्यता तथा रामकथा के रावणवध को अपनी आने वाली पीढ़ी में स्थानांतरित करना है. इसी के तहत तखतपुर के रावणभांठा में श्रीराम-लक्ष्मण, हनुमान और रावण की मूर्ति स्थापित की गई है. रावण परम ज्ञानी और परमवीर हुआ करता था. इसलिए युद्ध शुरू होने से पहले पूजा-अर्चना की गई. यही कारण है कि आज भी पूजा-अर्चना की जाती है.

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