रायपुर. महिला आरक्षक को बोर्ड परीक्षा में ड्यूटी के लिए भत्ते के रूप में महज 25 रुपए मिलना उसे इतना नागवार गुजरा कि उसने इसे सरकार को वापस लौटा दिया. महिला आरक्षक अनुपमा कुजूर ने पारिश्रमिक देयक पत्र में ही सरकार को लिखकर सौंप दिया कि ( मैं यह राशि सरकार के दान खाते में दान करती हूं). महिला आरक्षक बलरामपुर की बताई जा रही है. 25 रुपए सरकार को दान करने को अनुपमा ने आज ही सरकार को देयक पत्र लिखकर सौंप दिया है. यह देयक पत्र सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है.

आपको बता दें कि 1861 में अंग्रेजों के समय में बने भत्ता नियम राज्य में आज पर्यंत लागू हैं. आज भी एक मजदूर की भी मजदूरी से कम मिलने वाले बेहद कम भत्ते की राशि लेने में किसी को भी शर्मिंदगी महसूस हो सकती है. हालाँकि महिला आरक्षक ने भत्ते कम मिलने पर कोई लिखित नाराजगी नहीं जताई है. मगर भत्ते के रूप में मिला हुआ 25 रूपये सरकार को दान करने के लिए लिखित पत्र सौंपने की बात से पुलिसकर्मियों के आक्रोश का अंदाजा लगाया जा सकता है. महिला आरक्षक का ये कदम सरकार औऱ मशीनरी पर कई सारे सवाल भी खड़ा करता है कि आखिर आज के दौर में जब एक मजदूर को भी बतौर दिहाड़ी तीन सौ रुपये मिलते हैं ऐसे में पूरा दिन मेहनत से कर्तव्य पालन का ये पारिश्रामिक कहां तक जायज है.