विप्लव गुप्ता, पेण्ड्रा। गौरेला के टीकरकला क्वारंटीन सेंटर में रह रहे डेढ़ साल की एक बच्ची की मौत हो गई. बच्ची का पिता बीते 19 मई को भोपाल से लौटा था, जिसकी वजह से उसे क्वारंटीन किया गया था. घटना में मार्मिक पहलू यह है कि जब पिता पेंड्रा के क्वारंटीन सेंटर से भागकर अपने परिवार को पैसा देने पहुंचा. उसके बाद गांव वालों ने पूरे परिवार को गांव में पानी भरने से भी रोक दिया. 3 दिन के बाद मजबूरन पत्नी को बच्ची के साथ क्वॉरेंटाइन सेंटर जाना पड़ा. जहां बच्ची की मौत हो गई. पुलिस ने मामले में मर्ग कायम कर लिया है.

एक तरफ कोरोना के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए विभिन्न माध्यमों से चाहे वे समाचार पत्र हो, टीवी हो या अधिकारी कर्मचारियों द्वारा लाउडस्पीकर के माध्यम से लोगों को लगातार सचेत और जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है. बावजूद कोरोना को लेकर ग्रामीणों के अंदर जिस तरह से भ्रांतियां समा गई है और उसके कारण गौरेला में जो घटना घटित हुई वो सभ्य समाज को झकझोरने वाली है. मामला गौरेला विकासखंड का है, जहां देवरगांव में रहने वाले पूरन मेश्राम भोपाल में रोजी मजदूरी का काम करता था. कोरोना की वजह से जब लॉकडाउन हुआ तो रोजगार मिलना बंद हो गया और वह श्रमिक स्पेशल ट्रेन से बिलासपुर होते हुए पेंड्रा पहुंच गया. जहां उसे पेंड्रा के एक क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया. इस दौरान उसकी पत्नी ने उसे बताया कि घर चलाने के लिए पैसा नहीं है. जिसके बाद पूरण ने कियोस्क का संचालन करने वाले गांव के ही बृजभान से पैसा भिजवाया पर परिवार को पैसा नहीं मिला, जिसकी वजह से एक रात पूरन पेंड्रा के क्वारंटीन सेंटर की खिड़की से भाग खड़ा हुआ और अपने गांव आ गया, गांव वालों को जब पूरन के घर पहुंचने का पता चला तो गांव वालों ने परिवार का एक तरह से बहिष्कार कर दिया.

पूरन के गांव पहुंचने की शिकायत करके उनको तो गौरेला के टीकर क्वारंटीन सेंटर में भेज दिया गया पर पूरन की पत्नी दामिनी जब पानी लेने गांव के हैंडपंप में जाती तो गांव वाले उसे कहते कि इसका पति भोपाल से आया है तो इसे भी कोरोना हो गया है, तू नल को मत छूना बर्तन मत छूना नहीं तो हमें भी कोरोना हो जाएगा, तू इस सार्वजनिक नल से पानी नहीं ले सकती इस तरह की झिड़कियां देकर, उसे पानी लेने से मना करने लग गए, पर बिन पानी जीवन कैसे चलता, इसलिए जब गांव के सभी लोग घरों में सोने चले जाते थे और इलाका सूनसान हो जाता था तब दामिनी चुपचाप सार्वजनिक नल से पानी भर कर ले आया करती थी पर इस तरह चोरी छुपे कितने दिन चलता, घर में चावल के अलावा और कुछ खाने को था भी नहीं, गांव वालों से तिरस्कृत होकर दामिनी ने निश्चय किया कि वह भी अपने पति के पास चली जाएगी इसलिए वह अपनी बच्ची को लेकर कोरेंटिन सेंटर लेकर चली गई, जहां आज सुबह जब दामिनी अपनी बेटी को दूध पिला कर गई और जब लौट कर आई तब तक उसकी सांसे बंद हो गई थी.

बच्ची की तबीयत जब क्वारंटाइन सेंटर में बिगड़ी तो एक दिन वहां डॉक्टर भी पहुंचे और उन्होंने एक सिरप दिया जिसे उसकी मां बच्ची को पिलाया करती थी पर आज सुबह उसकी मौत हो गई. घटना के बाद पंचनामा कार्यवाही कर बच्ची का पोस्टमार्टम किया गया. साथ ही पुलिस ने मामले में मर्ग कायम कर लिया है और जांच शुरू कर दी है.