धरमजयगढ़। एक तरफ तो सरकार प्रदेश के विकास के बड़े-बड़े दावे करती है, तो दूसरी तरफ धरमजयगढ़ के बेदोंनारा गांव के लोग बिना बुनियादी सुविधाओं के जीने को मजबूर हैं.
आदिवासियों के उत्थान की सरकारी बातें तब खोखली लगने लगती हैं, जब बेदोंनारा के लोगों को आदिम काल में जीते देखना पड़ता है. बेदोंनारा गांव धरमजयगढ़ जिला मुख्यालय से 22 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत साजापाली का आश्रित गांव है. यहां न तो सड़क है, न पेयजल और न तो बिजली.
बेदोंनारा के लोग सड़क के अभाव में एक राशन तक के लिए भी पिछले 50 सालों से 6 किलोमीटर का पहाड़ी सफर तय कर साजापाली गांव आते हैं. वहीं इस दौरान उन्हें जंगली जानवरों का भी खतरा बना हुआ रहता है.
इधर पीने के पानी की व्यवस्था नहीं होने से ग्रामीण ढोंढी का पानी पीकर बीमार हो जाते हैं. गांव में करीब 30 परिवार हैं, जिन पर न तो अब तक सरकार की निगाह पड़ी है और न तो स्थानीय प्रशासन की. यहां के ग्रामीणों का कहना है कि शासन-प्रशासन की उदासीनता के कारण वे लोग आज भी पाषाण युग में जीने को मजबूर हैं.