कोरबा। छत्तीसगढ़ किसान सभा ने SECL की योजना का विरोध किया है. कोयला खनन परियोजना के विस्तार के लिए मलगांव को बिना किसी पुनर्वास योजना के दोबारा विस्थापित किया जाना सही नहीं है. इसके खिलाफ ग्रामीणों को संगठित कर आंदोलन करने की चेतावनी दी है.

छत्तीसगढ़ किसान सभा के कोरबा जिला अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर, सचिव प्रशांत झा और सहसचिव दीपक साहू ने कहा कि 1980-85 में पहली बार कोरबा जिले के मलगांव को बिना किसी पुनर्वास व्यवस्था के उजाड़ा गया था. पुनर्वास न मिलने के कारण यहां के ग्रामीण बस्ती से थोड़ी दूरी पर ही बस गए थे. इस बसाहट का भी ग्रामीणों के विरोध के बावजूद 2004 में अधिग्रहण कर लिया गया. अब इसे हटाने पर जोर दिया जा रहा है, जबकि बुनियादी सुविधाओं सहित पुनर्वास के नाम पर SECL चुप्पी साधे हुए हैं.

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किसान सभा ने प्रभावित ग्रामों का किया दौरा

किसान सभा के एक प्रतिनिधि मंडल ने प्रभावित ग्रामों का दौरा किया. मलगांव के प्रभावित ग्रामीणों से मिलकर बिना किसी पुनर्वास योजना के SECL द्वारा लॉकडाउन के समय गलत तरीके से विस्थापन का विरोध किया है. उन्होंने इस विस्थापन को अवैध करार दिया है.

किसान सभा के अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर ने बताया कि बिना मूलभूत सुविधा के अमगांव, भठोरा, भिलाई बाजार, रलिया, बाहनपाठ, पोड़ी, नरईबोध आदि गांवों को हटाने की तैयारी का भी विरोध किया है. किसान सभा के जिला सचिव प्रशांत झा ने कहा कि पूर्व में पुर्नवास के तहत गंगानगर, विजयनगर, नेहरूनगर, बेलटिकरी, सिरकी, चैनपुर, वैशाली नगर आदि गांवों में विस्थापितों को पुर्नवास के तहत बसावट दी गई है. यहां आज भी ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं के लिए भटक रहे हैं. अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं. आज भी कई विस्थापित नौकरी और मुआवजा के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं.

SECL ने शर्तों का नहीं किया पालन

किसान सभा के नेता दीपक साहू ने कहा कि मलगांव में भी अभी तक भूमि अधिग्रहण की शर्तों का एसईसीएल प्रबंधन ने पालन नहीं किया है. न ही वर्तमान कानूनों के अनुसार इस अधिग्रहण का मुआवजा और टोजगार स्वीकृत किया गया है. ऐसी परिस्थितियों में ग्रामीण मलगांव से हटने के लिए तैयार नहीं है.

किसान सभा नेताओं ने कोल इंडिया लिमिटेड की पुनर्वास नीति को घटिया करार देते हुए इसे चुनौती दी है. उन्होंने कहा कि किसी भी सार्वजनिक या निजी क्षेत्र की कंपनी की पुनर्वास नीति को केंद्र और राज्य सरकार की पुनर्वास नीति पर वरीयता नहीं मिल सकती, यदि वह इससे कमतर हो.

छग किसान सभा ने रखी ये मांग

किसान नेताओं ने मांग की है कि मलगांव के 160 परिवारों को विस्थापित करने से पहले एसईसीएल गैर-विवादास्पद भूमि पर सड़क, सफाई, प्रकाश, पेयजल, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं का विकास कर ग्रामीणों का पुनर्वास करे. हर परिवार को आवासीय भूमि का स्वामित्व दें. घर बनाने के लिए अनुदान दें. अधिग्रहित भूमि के एवज में प्रत्येक परिवार के सदस्यों को स्थायी नौकरी दें. वर्तमान बाजार दर से चार गुना मुआवजा दे. इसके बिना किसी भी प्रकार के विस्थापन के खिलाफ किसान सभा के बैनर तले संगठित होकर सभी ग्रामीण जन आंदोलन करेंगे.

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