रायपुर। केंद्रीय वित्त मंत्री ने केंद्रीय बजट पेश करते हुए घोषणा किया था कि एलआईसी को स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध किया जाएगा और सरकार सार्वजनिक पेशकश के माध्यम से अपनी अंशपूँजी का एक हिस्सा बेचेगी. सरकार के इस निर्णय का पुरजोर विरोध करते हुए सभी वर्ग के बीमा कर्मचारियों ने आज पूरे देश में भोजन अवकाश के पूर्व एक घंटे की बहिर्गमन हड़ताल किया. मध्य क्षेत्र के रायपुर, भोपाल, ग्वालियर, शहडोल, सतना, बिलासपुर, जबलपुर, इंदौर, मण्डल इकाइयों सहित मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के 142 से अधिक शाखा इकाइयों के सभी श्रेणी व सभी वर्ग के अधिकारी, कर्मचारी इस हड़ताल मे शामिल हुए.

ऑल इंडिया इन्शुरन्स एम्प्लॉईस एसोसिएशन के उपाध्यक्ष कामरेड बी सानयाल, सहसचिव कामरेड धर्मराज महापात्र, क्लास वन ओफिसर्स फेडरेशन के मंडल अध्यक्ष धनंजय पांडेय, फील्ड वर्कर्स फेडरेशन के मंडल सचिव वी एस राजकुमार व रायपुर डिवीजन इंश्योरेंस एम्पलाईज यूनियन के महासचिव अतुल देशमुख ने संयुक्त विज्ञप्ति में उक्त जानकारी देते हुए बताया कि आज एल आई सी मंडल कार्यालय, पंडरी में भोजनवकाश के पूर्व एक घंटे का बहिर्गमन हड़ताल कर विरोध प्रदर्शन किया गया और सरकार से इस निर्णय को वापस लेने की मांग की गई. यहां हुई सभा को देश भर के 90 प्रतिशत कामगारों के प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन आल इंडिया इंश्योरेंस एम्प्लॉइज एसोसिएशन (AIIEA) के उपाध्यक्ष बी सानयाल, सहसचिव धर्मराज महापात्र, क्लास वन ओफिसर्स फेडरेशन के मंडल अध्यक्ष धनंजय पांडेय, फील्ड वर्कर्स फेडरेशन के मंडल सचिव वी एस राजकुमार व रायपुर डिवीजन इंश्योरेंस एम्पलाईज यूनियन के महासचिव अतुल देशमुख ने संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान में सरकार के पास LIC में 100% हिस्सेदारी है.

पॉलिसीधारकों की घरेलू बचत से LIC पूंजी निर्माण में मदद करती हैं और इसका उपयोग देश में विकास की गतिविधियों के लिए किया जाता है. पंचवर्षीय योजनाओं में एलआईसी का अपार योगदान, पिछले 68 वर्षों से जारी है. 1956 में राष्ट्रीयकरण के बाद से इस उद्योग ने बेशुमार तरक्की की है तथा आज इसकी लाईफ फंड 31 मार्च 2019 की स्थिति में 28.28 लाख करोड़ है तथा 31 लाख करोड़ की परिसंपत्तियां है. भारत सरकार द्वारा महज 5 करोड़ रूपये से प्रारम्भ इस उद्योग ने एवं 2011 मे सरकार द्वारा अपने हिस्से की पूंजी मे 95 करोड़ अतिरिक्त निवेश के बाद आज तक डिविडेंड के रूप मे 26005.38 करोड़ का भुगतान कर चुकी है, ऐसा उदाहरण विश्व मे कहीं नहीं है.

सामाजिक क्षेत्र में इसके व्यापक निवेश जो इसके कुल निवेश आदि का 80% से अधिक है को इस कदम से भारी झटका लगेगा. सरकार का यह कदम स्पष्ट रूप से राष्ट्रीय हितों के खिलाफ है. आज एलआईसी एक ऐसी दर से बढ़ रही है जो जीडीपी की वृद्धि दर से बहुत अधिक है. इस वित्तीय वर्ष के पिछले छह महीने में एलआईसी की वृद्धि विशेष रूप से अभूतपूर्व रही है. एलआईसी 73% से अधिक की विशाल बाजार हिस्सेदारी के साथ बीमा उद्योग में सबसे ऊपर खड़ा है. एलआईसी का दावा निपटान रिकॉर्ड भी उदाहरण देने लायक है. ऐसे समय में जब सरकार को घटते-बढ़ते संकट के चलते कर संग्रह में का गंभीर कमी का सामना करना पड़ रहा है, LIC के विनिवेश का अर्थ कॉर्पोरेट घरानों के लाभ के लिए कीमती संसाधनों को बेचना भर होगा. LIC ने हाल ही में 2,611 करोड़ के लाभांश का भुगतान किया है, जो 100 करोड़ रुपये के शुरुआती पूंजी के एवज में भारत सरकार को दिया गया है. एलआईसी को भारत सरकार के कुल बजटीय प्रयासों में 25% से अधिक का योगदान का गौरव प्राप्त है.

ऐसे में निजी हितों के लिए एलआईसी की अपनी अंश पूँजी का हिस्से का विनिवेश, सरकार के संसाधन एकत्रिकरण के लिए सबसे बड़ा झटका होगा. वक्ताओं ने कहा कि हम भारत सरकार से अर्थव्यवस्था और 40 करोड़ पॉलिसीधारकों के हित में शेयर बाजार में एलआईसी को सूचीबद्ध करने के कदम को वापस लेंने और सार्वजनिक क्षेत्र के बीमा उद्योग को मजबूत करने का आह्वान करते है, इसके बावजूद यदि सरकार का अड़ियल रवैया जारी रहेगा तो जाइंट फ्रंट आगे भी सम्मिलित एवं उग्र कदम के लिए बाध्य होगी. सभा की अध्यक्षता आर डी आई ई यू के अध्यक्ष काम अलेक्जेंडर तिर्की ने की.