सदफ हामिद,भोपाल। मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव को निरस्त कर दिया गया है. शिवराज कैबिनेट ने इस पर मुहर लगा दी है. कैबिनेट ने चुनाव निरस्त करने का प्रस्ताव पारित कर राज्यपाल मंगुभाई पटेल के पास भेजा गया है. गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि पंचायत चुनाव पोस्टपोन करने की दिशा की ओर सरकार आगे बढ़ रही है. आगे पंचायत मंत्री और मुख्यमंत्री नया अध्यादेश ला सकते हैं. राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद पंचायत चुनाव निरस्त हो सकता है.

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पंचायत मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया ने कहा कि मुख्यमंत्री पहले से संकल्पित थे. ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव नहीं होना चाहिए. चुनाव कराना न कराना राज्य निर्वाचन आयोग का फैसला है. बड़ा वर्ग वंचित होगा. इसलिए सरकार ने अपना मत स्पष्ट कर दिया है. इससे पहले ओबीसी आरक्षण को लेकर चुनाव पर पहले से ही रोक लगी हुई है.

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कांग्रेस नेता सैय्यद जफर ने ट्वीट कर लिखा है कि आखिरकार प्रदेश की ग्रामीण जनता की जीत हुई. सरकार ने पंचायत चुनावों पर रोक लगा दी. भले सरकार कोरोना का खतरा बता रही हो, लेकिन असल डर तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले का था. जिसमें हम यह साबित कर रहे हैं कि मध्य प्रदेश के पंचायत चुनाव गैर असंवैधानिक हैं. अब सरकार ने हमें मौका दे दिया कि न्यायपालिका प्रदेश सरकार को जल्द संविधानिक जवाब दे दे कि पंचायत चुनाव गैर संवैधानिक थे.

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इससे पहले भी मप्र सरकार के कई मंत्री बयान दे चुके हैं कि पंचायत चुनाव को निरस्त किया जाना चाहिए. गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी कहा था कि ओमिक्रॉन वायरस को देखते हुए पंचायत चुनाव नहीं होना चाहिए. क्योंकि प्रदेश में विदेश से लौटे 8 लोग ओमिक्रॉन पॉजिटिव मिल चुके हैं.

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बता दें कि मप्र पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर राजनीतिक उठापटक जारी है. शिवराज सरकार ने पंचायत चुनाव टालने का फैसला किया है. बता दें कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पहले ही विधानसभा में प्रस्ताव पारित करा चुके हैं. इसके तहत बिना ओबीसी आरक्षण के पंचायत चुनाव नहीं कराए जाएंगे. हालांकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, जिस पर जनवरी 2022 में सुनवाई होनी है.

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