नई दिल्ली। क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज से पीड़ित दो मरीजों की दिल्ली एम्स में इलाज के दौरान मौत हो गई. दोनों मरीजों की मौत फंगस के नए स्ट्रेन के कारण हुई है. एम्स में इलाज के दौरान एस्परगिलस लेंटुलस नाम के दवा प्रतिरोधी फंगस स्ट्रेन के कारण मरीजों की मृत्यु हो गई. इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी (आईजेएमएम) में प्रकाशित एक केस रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों रोगीयों में से एक की उम्र 50 और दूसरे की उम्र 40 थी. दोनों क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज से पीड़ित थे. उन्हें दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था. पहले मरीज को निजी अस्पताल से रेफर किया गया था, जबकि दूसरे मरीज को बुखार, खांसी और सांस लेने में तकलीफ होने पर एम्स की इमरजेंसी में रेफर किया गया था.

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आईजेएमएम की रिपोर्ट के अनुसार, मरीजों को एम्स में एम्फोटेरिसिन बी और वोरिकोनाजोल के ओरल इंजेक्शन दिए गए थे. दोनों मरीजों की इलाज के दौरान मौत हो गई. रिपोर्ट्स में कहा गया है कि पहले मरीज की क्लीनिकल कंडीशन में एक महीने से ज्यादा समय तक कोई सुधार नहीं हुआ था और फंगल इंफेक्शन से उसकी मौत हो गई. रिपोर्ट में कहा गया है कि दूसरे मरीज को एम्फोटेरिसिन बी भी दिया गया था, लेकिन उसकी हालत में सुधार नहीं हुआ और एक हफ्ते बाद मल्टीपल ऑर्गन फेल होने के बाद उसकी मौत हो गई.

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जावेद अहमद, गगनदीप सिंह, इमाकुलता जेस और मृगनयनी पांडे द्वारा लिखित आईजेएमएम रिपोर्ट में लिखा गया है कि जहां तक हम जानते हैं, एस्परगिलस लेंटुलस के कारण सीओपीडी रोगी में इनवेसिव पल्मोनरी एस्परगिलोसिस के मामले पर यह भारत की पहली रिपोर्ट है. एस्परगिलस लेंटुलस का पहला उल्लेख 2005 में चिकित्सा साहित्य में एक प्रकार के एस्परगिलस के रूप में किया गया है, जो फेफड़ों का संक्रमण है. कई देशों ने मानव संक्रमण की पुष्टि की है. हालांकि, एम्स के डॉक्टरों ने कहा कि यह पहली बार है, जब भारत में इस तरह के एस्परगिलस के किसी मरीज के संक्रमित होने की सूचना मिली है.