गरियाबंद. जिले के एक पटवारी तिलक सिंह शांडिल्य ने इच्छा मृत्यु की मांग की है. उन्होंने राष्ट्रपति के नाम जिला कलेक्टर को पत्र सौंपकर मांग पूरी करने की गुहार लगाई है. पीड़ित पटवारी ने पत्र में अपनी परेशानियों का जिक्र किया है. ऐसी परिस्थितियों में उन्होंने मृत्यु को जीने से बेहतर मानते हुए इच्छा मृत्यु की मांग की है. पटवारी ने 28 जनवरी को यह पत्र लिखा है और हाल फिलहाल वह मैनपुर विकासखण्ड के मुड़ागांव गोलामाल में पदस्थ है. मामले में जिला प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई है.

शुक्रवार को देवभोग दौरे पर पहुंची कलेक्टर नम्रता गांधी ने प्रकरण के बारे में मीडिया को बताया कि पटवारी तिलक सिंह शांडिल्य की लापरवाही के कारण उनका वेतन जारी नहीं हुआ है. उन्होंने बताया कि पटवारी को तीन से चार पत्र भेजकर जरूरी दस्तावेज जमा करने कहा गया लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, जिसके चलते उनके वेतन जारी करने में विलंब हुआ है. हालाकिं कलेक्टर ने अगले सप्ताहभर में उनका वेतन जारी करने का भरोसा दिलाया है.

पीड़ित पटवारी तिलक सिंह कलेक्टर के ब्यान से इतेफाक नहीं रखते. उन्होंने दावा किया कि इस बारे में उन्हें कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ है. ना ही इस मामले को लेकर किसी ने उनसे संपर्क किया है. पटवारी के मुताबिक उन्होंने खुद वेतन जारी करने को लेकर कई बार अधिकारियों को पत्र लिखकर गुहार लगाई है. जिसकी छायाप्रति उन्होंने राष्ट्रपति के नाम लिखे पत्र के साथ सलंग्न की है. पटवारी तिलक ने बताया कि 28 जनवरी को राष्ट्रपति के नाम इच्छा मृत्यु की मांग का पत्र लिखने के बाद 30 जनवरी को विभागीय कर्मचारियों ने उनसे संपर्क किया था. जिसमें उन्होंने अगले दो चार दिन में उनका एक माह का वेतन जारी करने और उनके बैंक खाते में जमा करने कहा था.

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राष्ट्रपति के नाम लिखे पत्र में पीड़ित ने इच्छा मृत्यु की मांग के पीछे अपनी व्यथा बयां की है. उन्होंने लिखा है कि वह 13 मई 2020 से पूर्व अचानक बीमार पड़ने के कारण लंबे समय तक ड्यूटी नहीं कर पाया. 13 मई को देवभोग अनुविभागीय अधिकारी के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया और फिर नवीन अनुविभाग मैनपुर बनने पर मैनपुर में आवेदन प्रस्तुत कर अपने कर्तव्य कार्य में उपस्थित हो गया. 21 मई 2020 को उसे मुड़ागांव और गोलमाल का प्रभार दिया गया. तब से वह अपनी जिम्मेदारी निष्ठापूर्वक निभा रहा है. लेकिन उसे मई 2020 से दिसंबर 2021 तक 18 महीने का वेतन भुगतान नहीं किया गया.

पीड़ित पटवारी ने आगे लिखा कि उसने कर्ज लेकर अपना इलाज कराया था. जिसे वह लौटा नहीं पा रहा है. कर्जदार उसके घर पहुंच रहे है, उसे अपमानित कर रहे है, पैसे के लिए लगातार दबाव बना रहे है. जिससे वह और उसका परिवार अपमानित महसूस कर रहा है. वहीं 18 महीने से वेतन नहीं मिलने के कारण उसके लिए घर चलाना भी मुश्किल हो गया है. पीड़ित के मुताबिक आर्थिक तंगी के कारण वह अपनी बुजुर्ग बीमार मां का इलाज भी नहीं करा पा रहा है.

पटवारी ने दावा किया है कि वेतन की मांग को लेकर उसने अधिकारियों से कई बार गुहार लगाई है. पत्राचार भी किया है लेकिन उसके बावजूद भी किसी ने उसकी नहीं सुनी. ऐसे हालात में अब उसके पास मरने के सिवाय ओर कोई रास्ता नहीं बचा है. इसलिए उसने राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की गुहार लगाई है.

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पटवारी को 18 माह से वेतन नहीं मिला यह बात सत्य है लेकिन वेतन जारी करने में प्रशासन ने कोताही बरती कलेक्टर यह बात मानने को तैयार नहीं है. शुक्रवार को देवभोग दौरे पर पहुंची कलेक्टर नम्रता गांधी ने मीडिया को बताया कि पटवारी को दस्तावेज जमा करने कहा गया है लेकिन उसने दस्तावेज जमा नहीं किए हैं. कलेक्टर ने बताया कि तिलक को अपनी पेमेंट से जुड़े दस्तावेज जमा करने तीन से चार बार नोटिस जारी किया गया है, लेकिन सम्बंधित ने उसका कोई जवाब नहीं दिया है. हालाकिं कलेक्टर ने अब सप्ताहभर में पीड़ित का वेतन जारी करने का भरोसा दिलाया है.

ऐसे में क्या सही है यह कह पाना मुश्किल है. लेकिन किसी कर्मचारी को महीनों वेतन नहीं मिलना कतई सही नहीं है. पीड़ित के मुताबिक उससे कोई दस्तावेज जमा करने नहीं कहा गया इसलिए उसने कोई दस्तावेज जमा नहीं किया गया है. तो क्या ऐसे में पीड़ित द्वारा राष्ट्रपति के नाम पत्र लिखने के बाद जिला प्रशासन सफाई देने से बचने के लिए वेतन जारी करने को तैयार हो गया है.