रायपुर-  चुनावी साल में शहर अध्यक्ष पद पर के लिए नया चेहरा तलाश रही कांग्रेस के लिए चुनाव करना आसान नहीं होगा. दरअसल राजधानी रायपुर की चार विधानसभा सीटों को जीतने के लिए कांग्रेस को राजधानी रायपुर में एक मजबूत चेहरे की जरूरत है, जो संगठन को निचले स्तर तक एकजुट कर कांग्रेस के पक्ष में माहौल बना सके, लिहाजा चर्चा इस बात की है कि पसंद-नापसंद के समीकरणों के बीच संगठन की कोशिश इस बार नए चेहरे को मौका दिए जाने की है.
चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर करने के बाद शहर अध्यक्ष पद छोड़ने वाले विकास उपाध्याय का विकल्प ही नहीं, बल्कि कांग्रेस एक सशक्त शहर अध्यक्ष  ढूंढ रही है. हालांकि इस पद के लिए करीब आधा दर्जन नाम निकलकर सामने आ रहे हैं. लेकिन संगठन के सूत्र बताते हैं कि शहर अध्यक्ष उसे बनाया जाएगा, जिससे संगठन को चुनावी लाभ मिल सके.
विकास उपाध्याय के इस्तीफे के बाद जिन लोगों के नाम सामने आ रहे हैं, उनमें आसिफ मेमन, प्रमोद चौबे, एजाज ढेबर, गिरीश दुबे और अरूण भद्रा शामिल हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि संभावित शहर अध्यक्ष इनमें से ही किसी एक को बनाया जा सकता है. अंतिम वक्त पर कुछ और नाम भी जोड़े जा सकते हैं.
इन सबमें प्रमोद चौबे सबसे सीनियर चेहरा है, लेकिन कांग्रेस जिस आक्रामक अंदाज में चुनावी मोर्चे पर जाने की रणनीति पर काम कर रही है, उसमें चौबे कितना फिट बैठेंगे, इसे लेकर शंका जताई जा रही है. गिरीश दुबे को महापौर प्रमोद दुबे का खास समर्थक माना जाता है. चर्चा है कि खुद प्रमोद दुबे भी गिरीश दुबे को शहर अध्यक्ष बनाने की कवायद में जुटे हैं. एजाज ढेबर भूपेश बघेल के करीबी माने जाते हैं, लेकिन ढेबर को लेकर चर्चा है कि वह रायपुर दक्षिण विधानसभा से चुनाव लड़ने की इच्छा जता चुके हैं, ऐसे में शहर अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा पर सवाल खड़े हो रहा है, क्योंकि संगठन ने तय कर रखा है कि उन चुनाव लड़ने वालों को पद छोड़ना होगा. अरूण भद्रा भी शहर अध्यक्ष की दौड़ में शामिल हैं.
इन तमाम चेहरों के बीच आसिफ मेमन की भी मजबूत दावेदारी सामने आ रही है. मेमन युवक कांग्रेस में लोकसभा अध्यक्ष निर्वाचित हो चुके हैं. यूथ कांग्रेस का चुनाव हो या फिर एनएसयूआई चुनाव. संगठन के इन चुनावों में आसिफ मेमन का पलड़ा भारी माना जाता रहा है. यूथ कांग्रेस में संगठनात्मक कौशल को लेकर भी आसिफ मेमन की पहचान कांग्रेस के भीतर रही है. ऐसे में मेमन भी शहर अध्यक्ष के लिए एक मजबूत दावेदार बताए जा रहे हैं.

बागडोर उस हाथ को, जो होगा सबसे मजबूत

चुनावी तैयारी में जुटी कांग्रेस जिस रणनीति पर काम कर रही है, उससे साफ है कि शहर अध्यक्ष की बागडोर किसी नए चेहरे को सौंपने के पहले तमाम पहलूओं पर पार्टी आंकलन  करेगी. राजधानी रायपुर की चार विधानसभा सीटों में कांग्रेस के पक्ष में बेहतर समीकरण बिठाते हुए चुनावी फायदा दिलाने वाले चेहरे की ही ताजपोशी की जाएगी. संगठन के जानकार बताते हैं कि आने वाले पांच महीने बेहद महत्वपूर्ण हैं. लिहाजा कोशिश इस बात को लेकर किए जाने के संकेत हैं कि शहर अध्यक्ष की नियुक्ति ऐसे चेहरे की हो, चुनाव के लिए बचे हुए वक्त में पार्टी विस्तार के साथ-साथ सुस्त हो चले कैडर को खड़ा कर सके. राजधानी रायपुर में होने वाले आंदोलन से एक संदेश पूरे प्रदेश में जाता है, लिहाजा बीजेपी सरकार के विरोध में ऐसे आक्रामक आंदोलन चलाये, जो प्रदेश भर में कांग्रेस के जिला संगठनों के लिए नजीर बन सके. साम, दाम, दंड भेद की राजनीति के जरिए सियासी फायदा ढूंढकर संगठन को मजबूत कर सके. बहरहाल युवाओ के जोश और बुजुर्गों के होश के बीच तालमेल बैठाता एक चेहरा जो पार्टी के गुटबाजी से इतर कांग्रेस के पक्ष में राजधानी को मंच बनाकर पुरे राज्य में बदलाव का सन्देश देने में योग्य सक्षम साबित हो सके कांग्रेस को ऐसा एक नाम तय करने में मशक्कत तो करनी ही होगी.

भूपेश की पसंद से बनेगा शहर अध्यक्ष

तमाम परिस्थितियों के बीच यह तय माना जा रहा है कि अंतिम नाम पीसीसी चीफ भूपेश बघेल की पसंद के रूप में ही सामने आएगा. बघेल जिस नाम को फाइनल करेंगे, शहर अध्यक्ष के रूप में उसकी ही ताजपोशी की जाएगी. यही वजह है कि तमाम दावेदार अपनी-अपनी तरह से भूपेश के सामने अपनी दावेदारी जता रहे हैं.