बस्तर. बस्तर संभाग के बस्तर, बीजापुर,दंतेवाडा समेत कई जिलों में फ्लोराईड युक्त पानी से लोगों को बेहद मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. बस्तर जिले के सांसद और शिक्षा मंत्री के ग्रहग्राम इलाके के बाकेल, खंडसरा, केसरपाल,  जेवेल, आमरीगुड़ा सहित दर्जनों गांव में पानी में फ्लोराइड होने की शिकायतें मिली थी. जिसके कारण यह गांव राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में भी आया था. वहीं बीजापुर जिले के भोपाल पटनम ब्लाक के कई पंचायतों के गांव मे फ्लोराईड का कहर है,जिसके उपयोग से लोगों के दांत पीले पड़ गये और कूबड़ निकल आई.

भोपालपटनम से तीन किमी दूर गुल्लापेटा पंचायत के गेर्रागुड़ा गांव के लोग फ्लोराइड के कहर के चलते वक्त से पहले ही बूढ़े दिखने लगे हैं. बच्चों के दाॅंत खराब हो गए हैं तो जवानी में कूबड़ निकल आई है. ब्लाॅक मुख्यालय की सरहद पर बसे इस गांव में फ्लोराइड के खतरे की जानकारी विभाग को सालों से है लेकिन अब तक कोई कारगर उपाय नहीं किए गए हैं. गुल्लापेटा पंचायत में पांच गांव हैं. इनमें गेर्रागुड़ा, गुल्लापेटा,  चंदनगिरी, उल्लूर एवं इंदिरा कालोनी आते हैं. इसमें से गेर्रागुड़ा के जलस्रोतों में फ्लोराइड पाया गया. पड़ोसी गांव में भी फ्लोराइड की मात्रा पाई गई लेकिन यहां का पानी इस्तेमाल करने योग्य है. जानकार बताते हैं कि वन पार्ट पर मिलियन यानि पीपीएम तक फ्लोराइड की मौजूदगी इस्तेमाल करने लायक है जबकि डेढ़ पीपीएम को मार्जिनल सेफ माना गया है.डेढ़ पीपीएम से अधिक फ्लोराइड की मौजूदगी को खतरनाक माना गया है. गेर्रागुड़ा में डेढ़ से दो पीपीएम तक इसकी मौजूदगी का पता चला है और लोगों में इसका खतरनाक असर साफ दिख रहा है.

जांच में पता चला है कि यहां निकलने वाले पानी में भी फ्लोराइड खतरनाक स्तर की है. पानी पीने से जोड़ों में दर्द व पैर फूल जाता है. यहां लगे जन समस्या निवारण शिविर में गांव में साफ और सुरक्षित पेयजल के लिए व्यवस्था करने की मांग की गई थी. लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने सभी नलकूपों को सील कर दिया था लेकिन गांव के लोग दो नलकूपों का इस्तेमाल कर रहे हैं. गांव के लोगों का कहना है कि पानी खरीदकर नहीं ला सकते हैं. मजबूरी में वे यहां के
पानी का इस्तेमाल करते हैं. गर्मी के दिनों में कुछ लोग तीन किमी दूर इंद्रावती नदी से पानी लाते हैं और उबालकर पीते हैं. तीन से चार वर्ष पूर्व मुख्यमंत्री के बीजापुर दौरे ने भोपाल पटनम इलाके में ग्रामीणों ने मिलकर पानी सफाई से संबधित चर्चा कि थी और इसका शिलान्यास भी किया था. एक स्रोत पहले देखा गया था लेकिन यहां भी फ्लोराइड की समस्या है. अभी गेर्रागुड़ा से एक किमी दूर काॅलेज के पास एक स्रोत देखा गया है. यहां से पानी गांव तक पाइप लाइन से लाया जाएगा और टंकी में भरा जाएगा. इसके लिए 19 लाख का प्रस्ताव भेजा गया है. इसे अभी मंजूरी नहीं मिली है. मंजूरी मिलते ही काम चालू कर दिया जाएगा. वहीं शिक्षा मंत्री केदार कश्यप एवं बस्तर सांसद दिनेश कश्यप के ग्रहग्राम में भी लोग फ्लोराईड युक्त पानी से पीड़ित हैं लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई नही है.