शैलेष गुप्ता, कोरिया।  पानी जैसी समस्याओं के निदान के लिए जहाँ राज्य सरकार करोडों  रूपए खर्च कर रही, फिर भी ग्रामीण शुद्ध पेयजल के लिए तरसते नजर आ रहे. हम बात कर रहे विकासखण्ड सोनहत आश्रित गांव पंडोपारा की जहां के ग्रामीण बहते नाले का पानी पीने को मजबूर है.
गांव में लगभग दस से पंद्रह परिवार निवासरत है, जो रोजाना एक किलोमीटर दूर से बड़ी मशक्कत के बाद नाले का पानी ला रहे हैं. अपनी प्यास इस गांव में रहने के लिए तो चार हैण्डपम्प है पर वो भी खराब हैं.  कोई खुला पड़ा तो कोई बड़ी मसक्कत के बाद लाल दूषित पानी उलग रहा. पीने योग्य नहीं है.
ऐसे में ग्रामीणों को नाले का ही सहारा है. ग्रामीणों ने बताया कि लंबे समय से नाले के पानी पर आश्रित है. बरसात के दिनों काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है और हमारे स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ रहा है. इससे कई तरह के चर्च रोग हो रहे हैं.  पंचायत जनप्रतिनिधियों से कई बार मांग करने के बाद भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. स्वराज की टीम ने सरपंच से बात की तो उनका कहना था आप के द्वारा संज्ञान में लाया गया है. जल्द ही हैंडपंपो को सुधरवाने का कार्य कराया जाएगा.