सुशील सलाम, कांकेर। अदभुत परम्परा को आप जानकर हैरान रह जाएंगे. जी हां, आप सही सुन रहे हैं. कांकेर जिले के पखांजूर क्षेत्र के एक ऐसा गांव है, जहां मुर्दो को जलाया जाता है, वहीं पूजा-पाठ करते हैं.

पखांजूर मुख्यालय से कुछ ही दूरी पर स्थित इंद्रप्रस्थ गांव के ग्रामीण पिछले 2 सालों से मुक्तिधाम में पूजा-पाठ करते हैं. आयोजन में महिला-पुरुष व छोटे-छोटे बच्चे में कलश यात्रा निकालकर श्मशान घाट पहुंचते हैं. जिस स्थान पर शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है, उसके इर्द-गिर्द कलश रखने के साथ मुक्तिधाम के चारों ओर घूमकर पूजा-पाठ करते हैं. इस तरह से ग्रामीण मुक्तिधाम में 3 दिनों तक पूजा-पाठ करते हैं.

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ग्रामीणों का मानना है कि ऐसा करने से गांव में सुख-समृद्धि बनी रहती है. साल के दौरान किसी की भी मौत होने पर ग्रामीण उसके नाम ग्मेंर कोई भी व्यक्ति या महिला का मृत्यु होता है, तो उसका ग्रामीणों के द्वारा लिस्ट बनाया जाता है और सालभर बाद इसी समय उनके आत्मा को शान्ति के लिए 3 दिनो तक पूजापाठ किया जाता हैं . साथ ही लोग मुक्तिधाम के नाम सुनकर डर जाते हैं और वहाँ जाना नही चाहते वही इस गांव की परंपरा में बच्चों से लेकर बड़े सभी महिला, पुरूष,बच्चे सभी मुक्तिधाम में दिन रात बैठकर पूजा-पाठ करते हैं.

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