रायपुर। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने राज्यपाल से मिलने आ रहे मूलवासी बचाओ मंच से जुड़े आदिवासी कार्यकर्ताओं को कोंडागांव में हिरासत में लिए जाने की कड़ी निंदा की है. माकपा के राज्य सचिव संजय पराते ने सरकार से सवाल पूछा है कि क्या किसी आदिवासी प्रतिनिधिमंडल का राज्यपाल से मिलना गुनाह है कि उन्हें रास्ते में ही हिरासत में ले लिया गया है?

माकपा के राज्य सचिव संजय पराते की ओर से जारी बयान में आदिवासी कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए कहा है कि इन अवैध गिरफ्तारियों ने बस्तर और आदिवासियों के संबंध में संवेदनशील होने के सरकार के दावे की पोल खोल दी है. माकपा नेता ने आदिवासी कार्यकर्ताओं को अज्ञात स्थान में ले जाने और उनकी स्थिति के बारे में सही जानकारी न दिए जाने पर भी विरोध जताया है. पराते ने मांग की कि आदिवासी कार्यकर्ताओं को उन्हें तुरंत कोर्ट में पेश किया जाए, जो कि किसी भी हिरासती बंदी का मौलिक अधिकार है.

बता दें कि बस्तर संभाग के सुकमा बीजापुर जिला के आदिवासी मूलनिवासी बचाव मंच के नेतृत्व में जल जंगल जमीन पर्यावरण की रक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य, साफ पेयजल जैसे बुनियादी सुविधाओं की मांगों और फर्जी मुठभेड़ के जरिये आदिवासियों की पुलिस दमन को रोकने जबरिया पुलिस कैम्प स्थापना के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. बस्तर संभाग में आदिवासियों की समस्याओं के संदर्भ में प्रतिनिधि मंडल 21 जनवरी को राजभवन रायपुर में राज्यपाल से मुलाकात करने के लिए 19 जनवरी को रवाना हुए थे. लेकिन 20 जनवरी को रायपुर नहीं पहुंचने पर जब जानकारी ली गई तो पता चला कि कोंडागांव पुलिस थाना में उन्हें बीच रास्ते में रोक लिया है.