रायपुर।  बस्तर में तैनात छत्तीसगढ़ पुलिस पर एक बार फिर बड़ा आरोप लगा है. सुरक्षा बलों द्वारा महिलाओं से यौन शोषण और मारपीट के विरोध में अधिकारियों से न्याय मांगने गई दो आदिवासी लड़कियों सुनीता और मुन्नी को उल्टा नक्सली करार देने का आरोप लग रहा है. दोनों लड़कियों ने अपने ऊपर लगे आरोपों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. दोनों लड़कियों ने इस मामले में दिल्ली में प्रेस वार्ता लेकर बस्तर के हालात बताए. दिल्ली के अखबार में छपी इस खबर को लेकर छत्तीसगढ़ पीसीसी के अध्यक्ष भूपेश बघेल ने ट्वीट कर बस्तर में प्रशासनिक आतंकवाद का आरोप लगाया है, भूपेश ने इसके लिए राज्य सरकार को दोषी ठहराया है.

आपको बता दें कि यह पहला मौका नहीं है जब छत्तीसगढ़ पुलिस को कटघरे में खड़ा किया गया है इसके पहले भी पुलिस के ऊपर फर्जी एनकाउंटर, उत्पीड़न और बलात्कार के आरोप लगते रहे हैं.

भूपेश ने ट्वीट कर कहा, “बस्तर में व्याप्त प्रशासनिक आतंकवाद का एक बार फिर पर्दाफाश हो चुका है. बस्तर की दो साहसी लड़कियां सुनीता और मुन्नी न्याय की गुहार लगाते हुए दिल्ली पहुंच गयी हैं. उनका कहना है कि राज्य की भाजपा सरकार की पुलिस आये दिन आदिवासियों पर अत्याचार करती है.”

दूसरे ट्वीट में भूपेश ने कहा “सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के अनुसार, सुनीता और मुन्नी 22 दिसम्बर 2017 को 20 स्थानीय ग्रामीण महिलाओं के साथ सुरक्षाबलों द्वारा किये गए मारपीट के खिलाफ शिकायत करने बीजापुर पहुंची. जहां पुलिस के अधिकारियों ने सुनीता और मुन्नी को ही नक्सली करार कर दिया.”

तीसरे ट्वीट में उन्होंने कहा, “27 दिसम्बर को सुनीता और मुन्नी न्याय की लड़ाई लड़ने दिल्ली पहुंच गयी. सुनीता कहती है, “और कुछ नहीं मांगते, न मुआवजा न कुछ. बस दोषी पुलिस वालों को सजा मिले.” सुनीता और मुन्नी के साहस को मेरा सलाम. कांग्रेस प्रदेश में व्याप्त प्रशासनिक आतंकवाद के खात्मे के लिए प्रतिबद्ध है.”