रायपुर. झीरम घाटी जांच की नई कमेटी के कामकाज पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. अब इस पर राजनीति शुरू हो गई है. कांग्रेस एक तरफ प्रकरण पर शुरू से भाजपा के अड़ंगा लगाने का आरोप लगा रही है, तो वहीं दूसरी ओर बीजेपी का कहना है कि हाईकोर्ट का ये फैसला सरकार को आइना दिखाने वाला है.

हाईकोर्ट के फैसले के बाद नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा कि झीरम घाटी नक्सल हमले की जाँच केंद्र ने एनआईए से कराई. राज्य सरकार ने जस्टिस प्रशांत मिश्रा की अगुवाई में न्यायिक जाँच आयोग का गठन किया. जब जाँच प्रतिवेदन आ गया है तो क्या वजह है कि इसे विधानसभा में पेश नहीं किया गया और सरकार ने नए बिंदु जोड़कर कमीशन का कार्यकाल आगे बढ़ा दिया. इस जाँच प्रतिवेदन में क्या आया है? ये जनता जानना चाहती है. सरकार ज़िम्मेदारियों से भाग रही है. ये सरकार जाँच प्रतिवेदन से घबराई हुई है.

वहीं मामले पर कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि पहले बीजेपी ने अपने कार्यकाल में सीबीआई (CBI) जांच नहीं होने दी. बाद में जब हमारी सरकार ने एसआईटी (SIT) का गठन किया तब एनआईटी की ओर से फाइल वापस ना सौपने के कारण एसआईटी की जांच में अड़ंगा आया. फिर जब हमने न्यायिक जांच आयोग में नए बिंदु जोड़कर जांच करनी चाही तब भी बीजेपी विरोध में है. आख़िर क्या वजह है कि बीजेपी सच सामने आने से डर रही है.

सच्चाई पर पर्दा डालने की कोशिश

वहीं इस पर बीजेपी प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने कहा कि हाईकोर्ट का ये फैसला सरकार को आइना दिखाने जैसा है. उन्होंने कहा कि आखिर क्या वजह है कि सरकार जस्टिस प्रशांत मिश्रा की अध्यक्षता वाली आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से डर रही है. उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार सच्चाई पर पर्दा डालने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला इस बात का संकेत है कि ये सरकार गलत दिशा में जा रही है.

नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक की ओर से वरिष्ट अधिवक्ता महेश जेठमलानी, विवेक शर्मा, गैरी मुखोपध्याय, अभिषेक गुप्ता और आयुषी अग्रवाल ने हाईकोर्ट में पक्ष रखा.

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