वीरेंद्र गहवई, बिलासपुर. छत्तीसगढ़ में कारखानों की वजह प्रदूषण बढ़ रहा. इस पर प्रभावी रोक लगाने हाईकोर्ट में चार अलग-अलग जनहित याचिका लगाई गई है. हाईकाेर्ट में पेश रिपोर्ट में राज्य शासन ने माना है कि प्रदेश में तकरीबन 60 ऐसे स्पंज आयरन और सीमेंट प्लांट हैं, जहां तय मानकों व मापदंडों का प्रयोग नहीं किया जा रहा है और औद्योगिक प्रदूषण तेजी से फैल रहा है. इस मामले में हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने महाधिवक्ता से जवाब मांगा है. जनहित याचिका की अगली सुनवाई 30 सितंबर को होगी.
हाईकोर्ट ने मामले में संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका के रूप में रजिस्टर्ड कराया है. सभी जनहित याचिकाओं पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच में सुनवाई चल रही है. इस मामले में हाईकोर्ट ने एडवोकेट प्रतीक शर्मा और पीआर पाटनकर समेत 11 अधिवक्ताओं को न्याय मित्र नियुक्त किया है और उनसे प्रदेश की इन औद्योगिक इकाइयों में प्रदूषण के कारण हो रही परेशानी के बारे में जानकारी मंगाई थी.
सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से महाधिवक्ता कार्यालय के विधि अधिकारियों ने कोर्ट को बताया कि राज्य में करीब ऐसे 60 स्पंज आयरन या सीमेंट प्लांट हैं , जहां प्रदूषण की शिकायतें आ रही है. मामले की गंभीरता को देखते हुए चीफ जस्टिस की डीविजन बेंच ने न्याय मित्रों को कोर्ट कमिश्नर बनाकर डाटा रिपोर्ट पेश करने कहा था. इसके बाद हुई सुनवाई में चीफ जस्टिस की डीविजन बेंच में सभी कोर्ट कमिश्नरों ने रिपोर्ट पेश कर दी थी.
मामले की सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने स्वीकार किया कि राज्य में कई जगह संचालित प्लांट्स में जरूरी प्रावधानों का पालन नहीं किया जा रहा है. प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए शासन की योजना बन चुकी है, इसे लागू कराने में कुछ समय लगेगा. चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने महाधिवक्ता को जवाब पेश करने कहा है.
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