सुई धागे से सिर्फ कपड़े नहीं, होंठ भी सिले जाते हैं
सुई धागे से सिर्फ कपड़े ही नहीं होंठ भी सिले जाते हैं. सियासत में सुई का काम नेताओं का इशारा कर देता है. फिर तो ये बीजेपी है. कपड़े की छेद भरने के लिए रफू करने तक का मौका नहीं देती. यहां मोदी-शाह की आंखें पर्याप्त हैं. सुई का काम बखूबी कर जाती हैं. नए दौर की बीजेपी तो कम से कम ऐसी ही है. एक बीजेपी वो थी, जहां नेता कम से कम अपनी बात रख पाता था. यहां सब कुछ पहले से तय है. जो काबिल होगा, उसे मिलेगा. काबिलियत की परिभाषा में फिट कौन होगा, ये कोई नहीं जानता, सिवाए दिल्ली के. खैर, बात का कुल जमा लब्बोलुआब ये है कि साय मंत्रिमंडल में मंत्री बनने से चूके एक बड़े कद के नेता इन दिनों बहुत दुखी है. नेताजी ने रायपुर से दूरी बना ली है. यदा कदा आते जाते हैं. मंत्रिमंडल के गठन की प्रक्रिया जब चल रही थी, नेताजी का बंगला भीड़ से गुलजार हो चला था. नेताजी तो विभाग तक तय मानकर चल रहे थे, मगर जब मंत्रियों के नाम सार्वजनिक हुए, उन्हें गहरा सदमा लग गया. अब जाकर सदमे से उबर रहे हैं. कुछ लोगों ने उन्हें सलाह दी है कि वह लोकसभा का चुनाव लड़ ले. यहां बहुत कुछ रह नहीं गया, कम से कम दिल्ली में अपनी धमक बनाकर आगे का रास्ता तो बनाया जा सकता है. नेता कपड़े की छेद में लोकसभा चुनाव नाम के धागे से रफू करने का जुगाड़ जमा रहे हैं.
चतुर नेता
बात नई बीजेपी की चल रही है. सरकार बनने के बाद अब तरह-तरह के नेता अपने संघर्षों की कहानी लेकर संगठन से संघ तक की दौड़ लगा रहे हैं. पांच साल जो बिल में छिपे बैठे थे, वैसे नेता भी पुराने जमाने में किए गए किसी प्रदर्शन की तस्वीर छाती पर चिपकाए घूम रहे हैं. निगम, मंडल और आयोग में नियुक्तियां शेष हैं. लोकसभा चुनाव के पहले होने की संभावना भी नहीं है, लेकिन नेता अभी से ही अपनी सेल्फ ब्रांडिंग में जुट गए हैं. ऐसे ही एक नेता प्रदेश प्रभारी ओम माथुर से मिलने पहुंच गए. कहा, बहुत मुश्किल सीट थी भाईसाहब, लेकिन हमने ठान लिया था, कमल खिलाना है. हमने खिला दिया. चुनाव में खिलाया कमल था, मगर हाथों में लाल गुलाब लेकर आए थे. प्रदेश प्रभारी सिर से पैर तक देखते रह गए. पूछा- क्या हम कभी मिले हैं? नेताजी बायोडाटा साथ ले आए थे. दो मिनट अकेले में बात करने का वक्त मांगा और कमरे के भीतर चले गए. बाहर निकले, तो चेहरे की रौनक छट चुकी थी. जो बीजेपी को समझते हैं, वहीं चतुर है और चतुर नेताओं ने इस वक्त अपने होंठ सिल रखे हैं. कौन, कब, कहां और कैसे बिठाया जाएगा. यह भी दिल्ली दरबार की मुहर पर ही तय होगा.
सेफ लैंडिंग !
चुनाव में कांग्रेस जिस विमान में सवार होकर लड़ रही थी, वो विमान क्रैश हो गया. परखच्चे उड़ गए. कई नेताओं की सियासी जमीन खिसक गई. बचे खुचे नेताओं के हिस्से अब कुछ है, तो सिर्फ संघर्ष है. चुनावी हार के गहरे सदमे से उबरकर कांग्रेस को अब लोकसभा का चुनाव लड़ना है. पार्टी को नए सिरे से उड़ान भरनी है. इसलिए कांग्रेस ने नए पायलट की नियुक्ति की है. सचिन पायलट को प्रभारी बनाकर भेजा है. छत्तीसगढ़ आते ही पायलट ने कहा, हम इतिहास बदलने आए हैं. कहा, तो सौ टका सच. राजस्थान में सचिन पायलट जिस टीम का हिस्सा थे, उस टीम ने अपना इतिहास खुद लिखा है. जाहिर है इतिहास का कुछ हिस्सा उनके नाम पर दर्ज होगा ही. बहरहाल बात छत्तीसगढ़ की. जहां कांग्रेस ने साल 2018 के चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज कर इतिहास के पन्नों पर एक नया अध्याय जोड़ा और बीते पांच सालों तक नेताओं ने उन पन्नों पर अपने हाथों से ही कालिख पोत दी. कालिख ने संघर्षों से लिखे इतिहास को मिटा डाला. अब जिन हाथों ने इतिहास मिटाया गया, उन हाथों की सफाई फिलहाल आसान नहीं. अब सचिन पायलट इतिहास बदले जाने का कौन सा फार्मूला बता गए वहीं जाने.
घेरे में सेक्रेटरी
ब्यूरोक्रेसी में भी ऑडियोलॉजिकल वाॅर जमकर चलता है. सूबे की सरकार बदली, तो रूलिंग पार्टी की आइडियोलॉजी से जुड़े अफसर ने एक सेक्रेटरी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया.मंत्री तक सेक्रेटरी के खिलाफ शिकायतों का पुलिंदा भेजा है. शिकायत गंभीर थी, सो मंत्री ने नजरें टेढ़ी कर दी है. सुना है इंटरनल इनपुट जुटाया जा रहा है. सालों से एक ही विभाग में पदस्थ सेक्रेटरी पर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप लगाए गए हैं. शिकायतकर्ता अफसर ने कहा है कि सेक्रेटरी ने पूरे विभाग का बंटाधार कर रखा है. अनुदान देने से लेकर ट्रांसफर पोस्टिंग कराने तक दलालों के जरिए बेहिसाब भ्रष्टाचार किया गया. अपने अधीन एक ऐसे अफसर की नियुक्ति कर दी, जिसने अपना मूल काम छोड़कर सिर्फ इस बात पर ध्यान रखा कि सेक्रेटरी की आवभगत में कोई चूक ना हो जाए. सेक्रेटरी की सारी जरूरतों का ख्याल इस अफसर के जिम्मे ही रहा.सरकार बदलने की सुगबुगाहट के साथ ही सेक्रेटरी ने इस अफसर का तबादला कर दिया, मगर तबादले के बाद भी रिलीव नहीं किया. दरअसल विभाग में कुछ नियुक्तियां होनी थी. नियुक्ति में बड़ा खेल हो सकता था. कोई नया भरोसेमंद आदमी तैयार करना मुश्किल था, सो गोल पोस्ट पर गोल मारने के लिए उस अफसर को ही चुना गया. यह मामला अब मंत्री के पाले में है. फाइल ओपन है. शट कब होती है मालूम नहीं.
राजनीतिक संदेश
डाॅक्टर रमन सिंह का नाम मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल था. तरह-तरह के कयास लग रहे थे, लेकिन दिल्ली हाईकमान ने उन्हें विधानसभा अध्यक्ष बनाकर मेनस्ट्रीम पाॅलिटिक्स से फिलहाल बाहर कर दिया. संवैधानिक पद है, तो पार्टी की रणनीतिक बैठकों में भी रमन शामिल नहीं हो सकते. चुनाव में जिस तरह से रमन सिंह की वापसी हुई थी, आला नेताओं ने महत्व देना शुरू किया था, उससे यह बात चर्चा में आई थी कि रमन ही राज्य में बीजेपी का चेहरा हैं. नतीजे आने के बाद दिल्ली ने कुछ और सोच रखा था. सम्मान बना रहे, सो पार्टी ने नई भूमिका तय कर दी. पार्टी ने संदेश भी दे दिया कि अब वक्त नए नेतृत्व का है. रमन सिंह अपनी जगह बनाने में माहिर है. धुरंधर नेता हैं. नए विधायकों के प्रबोधन कार्यक्रम के लिए दिल्ली के महारथियों को आमंत्रण दे आए. जगदीप धनखड़, जे पी नड्डा, अमित शाह, ओम बिड़ला जैसे नेता रमन सिंह के बुलावे पर छत्तीसगढ़ आ रहे हैं. सियासत में अपनी मजबूती दिखाने का सिद्धांत चलता है. यकीनन प्रबोधन कार्यक्रम में दिग्गजों को बुलाने की परंपरा है, लेकिन यहां मामला सिर्फ इतने में खत्म नहीं हो जाता. राजनीतिक संदेश तो कम से कम यही दिख रहा है.
लटकती तलवार!
एक विभाग प्रमुख पर तलवार लटक रही है. शिकायतों की फेहरिस्त लंबी है. मामला अब तब का है. पिछली सरकार में मुख्यमंत्री के इतने करीबी थे कि मंत्री को कुछ समझते नहीं थे. मंत्री एडजस्टमेंट से चलते रहे. जब से सूबे में नई सरकार बनी है. बदलाव की अटकलों के बीच विभाग प्रमुख की कोशिश मंत्री के घेरेबंदी की है. दरअसल विभाग प्रमुख के मंत्री के परिवार से पुराने घरेलू ताल्लुकात रहे हैं. मंत्री के पिता से उनकी गहरी नजदीकी रही है, सो पुराने संबंधों का हवाला दिया जा रहा है. विभाग में दूसरे कई अफसर हैं, जिन्हें सुपरसीड कर कुर्सी हथियाई थी. मौका मिलने पर अफसरों ने मोर्चा खोल दिया है. मगर सौ टके की एक बात. सारे अफसर एक तरफ, ये विभाग प्रमुख एक तरफ. सम्मोहन विद्या सीखकर आए हैं. सरकार में कोई बैठा हो, फर्क नहीं पड़ता. बस एक ही एस्क्लेमेशन मार्क इनके साथ चल रहा है. मंत्री की चलेगी या भाजपा की ! वजह साफ है. विभाग प्रमुख के खिलाफ भाजपा को गंभीर किस्म की शिकायतों का पुलिंदा भेजा गया है.