‘तिलिस्मी अंगूठी’

किस्म-किस्म का घोटाला कर अफसर और नेता नोटों की गड्डियों से बनी सेज पर सोया करते थे. इस सेज की आरामतलब नींद तब मेज पर आ गई, जब ईडी आ धमकी. सेज, सेज ना रही. कुछ को सींखचों के उस पार जेल की उधड़ी दरी नसीब हुई. कुछ जो इस पार थे, उन्हें नोटों की सेज, सुई सरीखे चुभने लगी. सींखचों के इस पार बचे लोगों ने खुद को बचाने, कोर्ट कचहरी से लेकर तंत्र मंत्र जैसे कई उपायों का सहारा लिया. इन्हीं उपायों का असर रहा होगा कि कोयले की कालिख से रंगे एक आईएएस के हाथ पर हथकड़ी न पड़ सकी. आईएएस बिरादरी की आपस की चर्चा में अक्सर यह सवाल उठता रहा कि न जाने कौन सी तरकीब काम कर गई कि जांच एजेंसी को उस अफसर का हाथ कालिख से रंगा न दिखा. हाल ही में चंद अफसरों की एक महफिल में इस राज पर चर्चा छिड़ गई. पता चला कि आईएएस एक ज्योतिषी-तांत्रिक के संपर्क में थे. ज्योतिषी ने आईएएस का ग्रह योग देखकर बताया था कि उनका जेल जाने का योग बन रहा है. तब ज्योतिषी को आईएएस के घपले-घोटालों की खबर ना थी. ज्योतिषी की बात सुनते ही आईएएस की हाथ की कालिख चेहरे पर आ गई. रंग बदल गया. चेहरा पसीना-पसीना हो गया. समझते देर ना लगी. उपाय ढूंढा गया. ज्योतिषी ने आठ-दस रत्ती की एक कीमती अंगूठी पहनने की सलाह दे दी. कहा-अंगूठी दो, तीन लाख रुपये की बन जाएगी. कोयले से सने नोट थे ही, आईएएस ने करीब बीस लाख रुपये की रत्न जड़ित अंगूठी धारण कर ली. अब भाग्य बलवान कहे या अंगूठी का असर. आईएएस को सींखचों के उस पार देखने का सपना पाले बैठे बिरादरी के लोगों को मायूसी ही मिली है. वैसे बिरादरी के कई अफसर इस बात से अब तक अनजान है कि काजल की कोठरी ही नहीं, बल्कि कोयले की खान में रहकर भी आईएएस के चेहरे की चमक आखिर कैसे बरकरार है. अबकी बार उस आईएएस के करीब से गुजरे तो हाथों में चमचमाती अंगूठी निहार ले. यही वह तिलिस्मी अंगूठी है.

‘खिसकी जमीन’

बात ज्योतिष और तंत्र-मंत्र की चल रही है, तो इससे जुड़ा एक और किस्सा पता चला है. विधानसभा चुनाव में जब बीजेपी को जीत मिली और मुख्यमंत्री के चेहरे पर रायशुमारी शुरू हुई तब पर्दे के पीछे कई दावेदार अपनी-अपनी बाजी चल रहे थे. इन्हीं में से एक दावेदार ने एक ज्योतिषी जो तांत्रिक भी थे, उन्हें पकड़ा. कहते हैं कि यह वही थे, जिन्होंने आईएएस को अंगूठी पहनाई थी. चर्चा है कि नेताजी मुख्यमंत्री बन सके, इसलिए श्मशान में एक अनुष्ठान करना तय हुआ. तांत्रिक ने अनुष्ठान के लिए एक मोटी रकम मांगी थी. नेता की ख्वाहिशों का आसमान बड़ा था, सो अनुष्ठान शुरू करने को कह दिया. इधर हल्ला उड़ा कि संभावित नामों में एक नाम उनका भी था. दिल्ली से पूछताछ शुरू हुई. मालूम चला कि नेताजी के नाम की चर्चा तेज है. नेता को लगने लगा कि जब चर्चा तेज है, तो मुख्यमंत्री बनने से भला कौन रोक सकता है. पता चला कि अनुष्ठान बीच में ही रोक दिया गया. यह कहते हुए कि बड़ी रकम फिजूल में क्यों खर्च की जाए. इधर जब नाम का ऐलान हुआ, तो नेताजी की जमीन खिसक गई. अब उस दिन को कोसते हुए वक्त गुजर रहा है कि काश अनुष्ठान ना रोका होता.

‘पगडंडी’

मंत्रियों की कारस्तानी अब किसी से छिपी नहीं. पिछली सरकार के मंत्री जिन पगडंडियों से होकर गुजरते थे, उन्हीं पगडंडियों का इस्तेमाल इस सरकार के कुछ मंत्री करते दिख रहे हैं. ऐसा नहीं है कि इससे पहले की सरकारों के मंत्री दूध की तरह सफेद थे. कारस्तानियां तब भी थी, मगर तब बड़े-बड़े काम करीने से कर लिए जाते थे. तब कोई जांच पड़ताल की चर्चा न थी. कुछ मामलों को छोड़ दिया जाए, तो आम तबके को भनक तक नहीं लग पाती थी कि मंत्रियों ने ठीक ठाक जमा कर लिया है. बहरहाल सरकार को करीब पांच महीने ही गुजरे हैं, मगर एक मंत्री ने खूब नाम कमा लिया है. एक सप्लायर की रुकी करोड़ों की राशि रिलीज करने के नाम पर हुए सौदे ने मंत्री की साख गिरा दी. कहते हैं कि मंत्री ने अपने विभाग का कामकाज अपने एक करीबी अफसर पर छोड़ दिया है. सब इंजीनियर दर्जे का यह अफसर मंत्री का पूरा हिसाब-किताब देख रहा है. चर्चा तो यहां तक कि सब इंजीनियर दर्जे का यह अफसर विभाग के आला अफसरों को सीधे फरमान सुना रहा है. यह सब देख मंत्रालय के कई अफसरों ने अपना माथा पीट लिया है. मालूम नहीं मंत्री की यह कारस्तानी सरकार को कहां ले जाकर छोड़ेगी.

‘गुलजार’

नया रायपुर अब गुलजार होता जा रहा है. अफसरों के लिए बनाई गई कालोनी में रहने वालों की भीड़ बढ़ रही है. करीब 80 बंगलों में से 40 बंगले तैयार हो गए हैं. इन 40 बंगलों में से करीब आधा दर्जन बंगले भर गए हैं. एसीएस सुब्रत साहू जल्द ही यहां शिफ्ट हो रहे हैं. उनके नए सरकारी बंगले में पूजा-पाठ चल रही है. उनसे पहले संगीता आर, पुष्पेंद्र मीणा, चंदन कुमार यहां रह रहे हैं. हाल ही में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटी रिचा शर्मा भी संभवत: यही अपना बसेरा बनाए. इधर अफसर नया रायपुर को अपना घर बना रहे हैं, उधर मंत्रियों के बंगले सुने पड़े हैं. चर्चा है कि आचार संहिता के बाद मंत्री नए बंगलों में जाना शुरू कर देंगे. सीएम हाउस पूरी तरह तैयार है. आचार संहिता खत्म होने के बाद मुमकिन है कि सीएम नए बंगले में शिफ्ट हो जाए. मंत्रियों के साथ एक बुनियादी दिक्कत यह है कि उनके बंगलों पर आने वाले जरूरतमंद नया रायपुर शिफ्ट होने के बाद घट जाएंगे. जरूरतमंदों के लिए नया रायपुर पहुंच पाना मुश्किल भरा होगा. मंत्रियों की साख भीड़ से हैं. भीड़ सभा की हो या बंगलों पर आने वालों की. अच्छा होगा कि सरकार नया रायपुर और पुराने रायपुर के बीच ट्रांसपोर्टेशन दुरुस्त कर दे.

‘पोस्टिंग’

केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटी सीनियर आईएएस रिचा शर्मा ने मंत्रालय में ज्वाइनिंग दे दी है. सरकार जल्द ही उन्हें नई जिम्मेदारी सौंपेगी. रिचा शर्मा बेहद काबिल अफसर मानी जाती है. रमन सरकार में फूड संभाल चुकी है. उनके इस अनुभव को देखते हुए केंद्र सरकार ने उन्हें फूड की जिम्मेदारी सौंपी थी. हालांकि इससे पहले वह वन एवं पर्यावरण मंत्रालय में काम कर चुकी है. चर्चा है कि शासन एसीएस मनोज पिंगुआ का भार कुछ कम कर सकती है. इस वक्त मनोज पिंगुआ ओवर लोडेड हैं. गृह, जेल, स्वास्थ्य, वन जैसे विभाग एक साथ संभाल रहे हैं. चर्चा है कि उनसे कुछ विभाग लेकर रिचा शर्मा को सौंपा जा सकता है. सरकार के ‘स्वास्थ्य’ विभाग को दुरुस्त करना है, ऐसे में मुमकिन है कि सरकार उन्हें स्वास्थ्य महकमा दे दे. हालांकि वन महकमा भी मिल जाए तो कोई आश्चर्य नहीं.

‘अदावत’

एक सीनियर आईपीएस के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच कर कार्रवाई किए जाने की मांग संबंधी एक फाइल मंत्रालय में घूम रही है. आईपीएस अफसर पिछली सरकार के बेहद करीबी थे, सो इस सरकार में रडार पर हैं. सरकार बदलते ही भाजपा के कई नेताओं ने उनके खिलाफ शिकायत की थी. यह बात और है कि कई अफसर हैं, जो इस वक्त हाशिये पर हैं. पर इस अफसर से खास अदावत है. बताया जा रहा है कि आईपीएस अफसर के विरुद्ध आई शिकायत पर शासन ने अपनी नोटशीट में लिखा है कि ईओडब्ल्यू-एसीबी में अफसर के विरुद्ध जांच चल रही है.