(सुधीर दंडोतिया की कलम से)
पेडिंग फाइलों का बड़ा पेंच
आचार संहिता लगने के बाद से नई सरकार के गठन के बीच के वक्त में मंत्रालय में फाइलों की पेंडेंसी काफी अधिक हो गई है. कई फाइलें तो ऐसी हैं जब आचार संहिता के बीच विभागीय मंत्रियों के मौखिक आदेश पर तैयार कर ली गई थीं. अब सरकार के मुखिया बदलने के साथ विभागों के मुखिया भी नए आ गए हैं. पेंडिंग फाइलों को लेकर अफसर पशोपेश में हैं कि इन्हीं फाइलों पर वर्कआउट कराया जाए या फिर फाइलें पूरी तरह पेंडेंसी में डाल दी जाएं.
दिल्ली की दौड़-धूप तेज
बीजेपी की तरह कांग्रेस संगठन में पीढ़ी परिवर्तन के बाद आने वाले समय में संगठन और अधिक बदला-बदला नजर आएगा. सबसे खास बात ये है कि प्रदेश संगठन में दिल्ली का दखल काफी अधिक बढ़ा हुआ नजर आएगा. इसके संकेत भी अभी से मिलने लगे हैं. संगठन में पद बचाने और पद चाहने वाले नए नेताओं ने भोपाल के साथ दिल्ली की दौड़-धूप तेज कर दी है.
मंत्री बनने निकले, रास्ते से ही लौट गए
मंत्रिमंडल विस्तार के पूर्व की रात्रि अनोखी रही. विधायक अपनी बारी का तो इंतजार कर ही रहे थे, लेकिन टेलीफोनिक बातचीत की गफलत में एक विधायक महोदया ने सूर्यादय से पहले ही भोपाल की सड़क पकड़ ली. भोपाल से कुछ दूरी पहले ही महोदया को पता चला कि सूची में उनका नाम नहीं है और नेताजी ने राजधानी पहुंचने के बजाय वापस रवानगी करना ही मुनासिब समझा.
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