छिंदवाड़ा ठीक है लेकिन बाकी पर सिर्फ चर्चा
कांग्रेस नेताओं के ठियो पर इस वक्त एक ही चर्चा चल रही है कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की कितनी सीटें आ सकती है। कांग्रेस नेताओं के जितने भी दरबार लगते हैं वहां पर जब उंगलियों पर सीटें गिनी जाती है तो 5 सीटों से ज्यादा आंकड़ा बाहर नहीं हो पता है। लेकिन नेताओं के ठिये के हिसाब से सीट बदल जाती है। जिस खेमे से जो होता है, वह अपने करीबी लोकसभा प्रत्याशी की सीट जीतने का दावा करता है। और उसका सियासी गुणा भाग भी बता देता है और दूसरा गुट अपनी जीत का। अब कार्यकर्ता इस गुटिया राजनीति के चक्कर में समझ नहीं पा रहा है कि आखिर कांग्रेस के पाले में कौन सी सीट आएगी। लेकिन सभी ठियो पर एक चर्चा कॉमन है, छिंदवाड़ा लोकसभा कांग्रेस जीत रही है।
एकतरफा माहौल था इसलिए मतदान कम हुआ
सबको अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत बढ़ाना ही है। पहले और दूसरे चरण में कम मतदान के बाद जब केंद्र से यह फरमान आया तो बीजेपी के विधायक अपनी-अपनी विधानसभाओं में जुट ही गए थे, लेकिन इसके बाद भी कई मंत्रियों की विधानसभाओं में 2019 की तुलना में कम मतदान हुआ। प्रदेश में सभी 29 सीटों पर मतदान समाप्त होने के बाद संगठन ने कम मतदान प्रतिशत का कारण जानना चाहा। तो एक महिला मंत्री ने रिपोर्ट तैयार करके भिजवाई कि माहौल ही एकतरफा बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष में था, इसलिए उनकी विधानसभा में कम मतदान हुआ। मंत्री की इस रिपोर्ट को लेकर संगठन में चर्चे हैं।
बाबा जी की नाइट क्लास और अफसरों की वेटिंग
मध्यप्रदेश के एक बाबाजी, भविष्य बताते वाले बाबाजी, टीआरपी वाले बाबाजी। आम लोगों के तो मंच से पर्चे जारी हो जाते हैं। कॉमेडी वाली स्टाइल में शराब से शबाब और अंदर की बात सार्वजनिक हो जाती है। अब भक्तों के सार्वजनिक दरबार में बेचारे अफसर कैसे अर्जी लगाएं। भूल चूक भी चिट्ठा खुला तो हाय तोबा। लिहाजा आईएएस हो या आईपीएस, लगभग सभी बाबाजी की नाइट क्लास में अपने लिए बाबाजी के मन की बात को सुनने जाते हैं। यह तो अचरज की बात है कि इसमें भी वेटिंग का सिस्टम शुरू हो गया है। सुना है भोपाल से करीब ढाई सौ किलोमीटर दूर बाबाजी की आमद दर्ज होने जा रही है। इसमें अधिकारियों की लंबी वेटिंग है। दिल्ली से लेकर छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र तक के बड़े-बड़े अफसर एक अर्जी के लिए हरी झंडी का इंतजार कर रहे हैं।
उज्जैन के नाम से ही हाय तौबा
बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में आमतौर पर अफसर पोस्टिंग के लिए प्रार्थना करते थे। लेकिन, अब मामला उल्टा हो गया है। दरअसल, उज्जैन में सिंहस्थ 2028 की तैयारी शुरू हो चुकी है। शहर की कायाकल्प की तैयार में सरकार जुटी है। अपने-अपने कार्यों में महारत हासिल छोटे-बड़े अफसरों की तैनाती के लिए नाम सूचीबद्ध किए जा रहे हैं। अब मुख्यमंत्री का गृह नगर है, कोई मजाक नहीं है भाई। नगरीय विकास एवं आवास विभाग और पीडब्ल्यूडी के अफसर हैं कि उज्जैन सिंहस्थ के नाम से ही तौबा कर रहे हैं। वैसे आनाकानी करने वाले विभागों में पीएचई और प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अफसरों के नाम भी शामिल हैं। खेर अफसर भी जानते हैं यहां मलाई भी आसान नहीं तो कलाई कौन तुड़वाए।
सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारी, मंत्रालय में खलबली
चुनावी दौर खत्म हो चुका है। साथ ही 04 जून को परिणाम के साथ ही सरकार के बंधे हाथ भी खुल जाएंगे। लेकिन, इस बार भी आचार संहिता के पहले हुए ताबड़तोड़ सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारी में सरकार है। खबर है कि दो विभागों के प्रशासनिक मुखिया भी बदले जा सकते हैं। मामला मिड डे मील में हुई गड़बड़ी का है। केंद्र से खुले गड़बड़ी के चिट्ठे के बाद सरकार की किरकिरी भी हुई। वैसे तो धांधली में 23 जिलों के नाम शामिल हैं। आंख मूंदने वाले चार कलेक्टर भी सर्जिकल स्ट्राइक की रडार पर हैं। इनका रिकॉर्ड भी कुछ प्रशासनिक तंत्र में हलका रहा है। खबर यह है कि कांड की जांच के पहले ही स्कूल स्तर के जिम्मेदारों की क्लास जल्द ही खत्म होगी। आगे का तो पता नहीं लेकिन अभी की सूची तो सौ के पार है।
माननीय नहीं, अधिकारी जिम्मेदार, कांग्रेस में डील पर चर्चा
नर्सिंग घोटाले की चर्चा मध्यप्रदेश में चारों ओर है। कुछ दिन पहले कांग्रेस की तरफ से इस मामले में प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई और बीजेपी के एक बड़े नेता पर आरोप लगाया गया। लेकिन जिस कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, अब उनके सुर बदले-बदले नजर आ रहे है। नेताजी बीजेपी के बड़े नेता पर आरोप लगाने के बजाय उस वक्त के विभाग के अधिकारी को घेरते हुए दिखाई दे रहे हैं। नेताजी का कहना है कि सब कुछ अधिकारी ने किया है। मैंने तो बीजेपी के बड़े नेता पर आरोप कभी लगाया ही नहीं। इस बयान के बाद कांग्रेस में अब चर्चा चल रही है, कहीं नेता जी की माननीय से अंदर खाने कोई डील तो नहीं हो गई।
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