(सुधीर दंडोतिया की कलम से)

मंत्री जी मायूस हो गए

मध्य प्रदेश में तबादलों से बैन हटा तो मंत्रियों को लगा कि उनके हाथ में कुछ पॉवर आया है, जिसका इस्तमाल वो कर सकते हैं. मंत्रियो के यहां सिफारिशों की लम्बी लाइन लगी. लम्बी सूची बनी पर प्रदेश में मंत्रियों को ज्यादतर मायूसी हाथ लगी. तबादलों से बैन हटने का सबसे ज्यादा फायदा आफसरों को हुआ. मंत्रियों के बजाय अफसरों की तबादलों में खूब चली. कई मंत्री तो ऐसे रहे, जो बेबस नजर आए. कैबिनेट की बैठक में दो मंत्रियों ने सीएम के सामने दुखड़ा भी रोया पर क्या करें अब तबादलों की तारीख निकल गई है. मंत्रियों को डर सत्ता रहा है कि समर्थकों के काम न होने से आप विरोधी इसे मुद्दा बनाकर मंत्रियों के खिलाफ माहौल बना रहे हैं.

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अब ऐसी कुंडली की आवश्यकता क्यों

मंत्रालय में इन दिनों चर्चाओं का माहौल कुछ ज्यादा ही गर्म है. पहली वजह यह कि प्रदेश में तबादलों के बीच सीनियर आईएएस का नंबर लगने वाला है. खबर है कि कई अधिकारी यहां से वहां होंगे. कुछ कलेक्टर भी नपेंगे. लेकिन, मैं बात कर रहा हूं दूसरी चर्चा की. चर्चा कुंडली की. तहसीलदार से लेकर एसडीएम और अपर कलेक्टर से लेकर संयुक्त कलेक्टर की. सामान्य प्रशासन विभाग समेत गृह मंत्रालय से भी जानकारी बुलाई जा रही है. सरकार में खास औदे के मात्र एक बड़े अधिकारी इस काम में जुटे हुए हैं. प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद ऐसा पहली बार हो रहा है, जब आईएएस या आईपीएस अफसरों को छोड़ अपने स्तर पर बाकी बचे प्रशासनिक अफसरों की सीआर बनाई जा रही हो. एक्का दुक्का तबादले तो दाग के बाद वैसे भी होते रहे हैं. मौजूदा सरकार में इन अफसरों को जिम्मेदारी भी बड़ी तहकीकात के बाद ही दी जा रही है. फिर ऐसी कुंडली की आवश्यकता. खैर मामला भी बड़ा ही होगा.

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क्रिप्टो और करप्ट…यहां धड़कनें हुई तेज

मध्य प्रदेश एसटीएफ की सबसे बड़ी कार्रवाई. मामला निवेशकों से 2283 करोड़ रुपये की ठगी. कुछ निवेशक छोटे तो कुछ बड़े. मैं यहां कहुंगा जो बड़े निवेशक उनमें कुछ मगरमच्छ भी. सफेद पोश वरिष्ठ अफसर. मगरमच्छ इसलिए कहा गया क्योंकि ठगी की राशि भी करोड़ से कम नहीं होगी और नौकरी में रहते करोड़ का निवेश कैसे. मतलब, गजब का शिष्टाचार. खैर, जब से पूरा मामला मीडिया में आया तब से ही तीन प्रशासनिक महकमों में हलचल भी तेज है. उड़ती-उड़ती खबर तो यह भी है कि अफसरों तक एसटीएफ के हाथ दूर नहीं है. क्रिप्टो करेंसी के खेल के साथ बड़े ब्याज के काले जाल में अकसर बड़ों-बड़ों का नाम आ ही जाता है. वाकई एसटीएफ की कार्रवाई शानदार है. अब इंतजार इस बात का है कि इस मामले में एसटीएफ के साथ लोकायुक्त और आयकर विभाग की एंट्री कब होती है साहब.

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विवादों के तबादले

मध्य प्रदेश में तीन साल बाद स्वैच्छिक तबादलों से रोक हटी तो सरकार की पहली नसीहत यही थी कि तबादलों में विवाद न पनपे. शुरुआत में इस नियम के साथ ऑनलाइन प्रक्रिया का जोर-शोर से पालन भी किया गया. लेकिन अधिक आवेदन वाले विभाग में नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई गईं. तबादला होना थे स्वैच्छिक, लेकिन एक-एक कर सभी जिलों में प्रशासनिक सूचियां जारी हो गईं. यह सिलसिला करीब सप्ताहभर तक चलता रहा, बाकी जिलों की लिस्ट वाट निहारती रह गई. बड़ी बात ये है कि बैकडेट में एक-एक कर आदेश अभी भी अपलोड हो रहे हैं.

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पीठ-पीछे दे रहे हवा

मध्य प्रदेश में लंबे समय बाद सरकारी कर्मियों के लिए प्रमोशन का रास्ता खुला. पिछली प्रक्रिया को लेकर इंटरनल इंन्वोल्व रही विरादरी के लोग एक बार फिर सक्रिया तो हुए हैं, लेकिन पूरी तरह भूमिगत रहकर. नए आदेश की खिलाफत करने के लिए इस विरादरी के लोग सामने नहीं आ रहे, लेकिन मैदान में मोर्चा संभाल रहे लोगों को पीठ-पीछे से हवा जरूर दे रहे हैं.

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