(सुधीर दंडोतिया की कलम से)

इन पर खाकी क्या खादी का भी असर नहीं

मध्य प्रदेश में शराब ठेकेदारों के तख्तापलट के बाद हालातों के दो रंग हैं। पहला रंग है सुखद शिष्टाचार का, तो दूसरा सुर प्रेमियों के दुःख में सुर्ख लाल। दरअसल, प्रदेश के पुराने लेकिन नए टेंडर के बाद अब शराब दुकानों के नए ठेकेदार सिंडिकेट माफिया बन गए हैं। आबकारी की आंखों में धूल नहीं झोंकी जा रही, बल्कि आबकारी ने अपनी आंखों पर ही पट्टी बांध ली हैं। शिष्टाचार का पूरा पालन जिम्मेदार पर रहे हैं। मनमानी की अवैध वसूली की जा रही है। खरबों के इस शिष्टाचार पर विपक्षी दलों के मुंह में दही जम गया है। रही बात शिकायतों कि तो अब तक मनमानी के गोरख धंधे में एक भी शिकायत पर एक्शन नहीं लिया गया है। एक तो दामों में दम भरते माफिया तो दूसरी ओर मिलावटी सुरा की दोहरी मार सुरा प्रेमी झेल रहे हैं। सुनने में आया है कि माफियाओं के हौसलों के आगे खादी तो दूर बल्कि खाकी का रंग भी फीका पड़ गया है। अब सोचिए…प्रदेश की अर्थव्यवस्था का भार उठाने वाले आबकारी विभाग पर जिम्मेदारियों का कितना और कितना भार है।

माननीय पर राहु की महादशा

प्रदेश के एक माननीय के दिनों खराब चल रहे हैं। बेचारे अक्सर विवादों में घिर जाते हैं। बीते दिनों एक बार फिर ग्वालियर में माननीय विवादों के आ गए। मामला रेस्टोरेंट में बैठक व्यवस्था का था। माननीय के चहेतों ने एक बार फिर धूल उड़ा दी। सुनने में आया है कि मामला भले ही रफ़ादगा कर दिया हो लेकिन बात ऊपर तक पहुंची है। एक के बाद एक विवादों के चलते श्रीमान जी की हालत ऐसी है मानों राहु की महादशा।

24 घंटे बाद भी पीसीसी को नोटिस की जानकारी नहीं

दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह को उनके बयानों को लेकर आखिरकार पार्टी ने नोटिस थमा ही दिया। ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के अनुशासन समिति के चेयरपर्सन तारीक अनवर ने लक्ष्मण सिंह के बयान को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है। लेकिन नोटिस जारी के 24 घंटे बाद भी एमपी कांग्रेस को इसके बारे में कोई अता पता नहीं था। मीडिया कर्मियों ने जब पीसीसी पदाधिकारियों को फोन लगाया फिर भोपाल से दिल्ली फोन लगाए गए, तब जाकर एमपी कांग्रेस को नोटिस की जानकारी लगी।

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