(सुधीर दंडोतिया की कलम से)
नए नवेले प्रवक्ताओं के पास पहुंचे फोन, डर गए नेताजी
मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग में बड़ी सर्जरी हुई। अध्यक्ष से लेकर कई प्रवक्ताओं की छुट्टी हुई और नए प्रवक्ताओं के एंट्री हुई। नए प्रवक्ताओं के नाम सामने आने के बाद उनके समर्थक नेताजी को बधाई देने के लिए फोन घनघनाने लगे, कुछ प्रवक्ताओं को जब उनके समर्थक बधाई दे रहे थे नेताजी को समझ ही नहीं आया आखिर किस बात की बधाई। एक प्रवक्ता तो डर गए कहीं लोकसभा का टिकट तो नहीं मिल गया, फिर समर्थक से पूछा गया आखिर किस बात की बधाई तो पता चला प्रवक्ता बनाया गया है। खबर है नई टीम में कुछ प्रवक्ताओं को बिना जानकारी दिए ही नियुक्ति की गई है।
घर आए नेताजी को भी पार्टी में शामिल नहीं करवा पाई कांग्रेस
मध्यप्रदेश कांग्रेस में बड़े पैमाने पर नेता पार्टी छोड़ भाजपा में शामिल हो रहे हैं। कुछ दिन पहले एक पूर्व विधायक भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए, लेकिन यह नेताजी कांग्रेस में शामिल होना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने लगातार 29 दिन तक नेताओं से संपर्क साधे, लेकिन बताया जाता है कि कोई रिस्पांस नहीं आया और फोन तक नहीं उठाये गए। जब पूर्व विधायक बीजेपी के संपर्क में आ गए और ये खबर फैली तो उनको रोकने का प्रयास किया गया, लेकिन तब तक चीज हाथ से निकल चुकी थी। यह पूर्व विधायक कांग्रेस के टिकट पर MLA चुने गए, लेकिन टिकट कटने के बाद नाराज होकर बसपा में चले गए थे, अब फिर से कांग्रेस में आना चाहते थे।
पद दिया लेकिन भैया का सम्मान नहीं रखा गया
पिछले दिनों जारी हुई प्रदेश कांग्रेस कार्यालय की सूची में एक सीनियर लीडर का नाम तो था लेकिन कई जूनियर के बाद रखा गया। सूची जारी हुई तो भैया समर्थक नाम खोजते रहे। सूची में नाम मिला लेकिन काफी नीचे। इस बात को लेकर भैया भी नाराज हैं और उनके समर्थक भी। यह बात प्रदेश अध्यक्ष तक पहुंचाई गई कि जो नेता संगठन में इतने सीनियर लेवल पर हो, उसका नाम इतने नीचे। खबर है कि संबंध में प्रदेश अध्यक्ष ने भैया से बातचीत की है।
सवाल पर बड़ा बवाल, जमकर तू तू मैं मैं
ये तो जग जाहिर है कि कांग्रेस में इन दिनों कुछ ठीक नहीं चल रहा है। चुनावी बारूद भी सिर्फ बयानों तक ही सीमित मानिए। भोपाल लोकसभा को लेकर श्यामला हिल्स के बड़े बंगले में बैठक में नेताओं की सुस्ती पर भी मानों बवाल सा मच गया। दरअसल, बैठक चुनावी रणनीति को लेकर थी। कांग्रेस के बड़े नेताओं के दौरे पर मंथन के लिए आधा दर्जन नेता जुटे। पुराने शहर के बड़े रसूख के नेता जी ने साफ कह दिया। कितना साथ दें। दौरे हैं नहीं। पीसीसी भी सिमट गई। साहब की तो दुनिया ही दूसरी है। फिर क्या था। तभी ग्रामीण कांग्रेस के उम्र दराज नेता जी ने कहा कि आप तो विधानसभा चुनाव में एक न थे, अब बातें। फिर क्या था। जमकर बहस बाजी शुरू हो गई। मामला तू तू मैं मैं तक पहुंच गया। वीसी में जुड़ने से पहले ही नेता जी को गदर की जानकारी लग गई। वैसे नेता जी ने सुरेश पचौरी की बात कह कर और आग को भड़काया था। यह भी कह दिया, अब दौरे में शामिल नहीं होंगे।
कागजों में डीजल
डीजल चोरी के लिए हमेशा बदनाम भोपाल नगर निगम के कर्मचारियों ने नया तरीका खोज निकाला है। गाड़ी में कम डीजल भरवाने के बजाय वाहन पेट्रोल पंप पर लाए ही नहीं जाते। वाहन के कागज लाए जाते हैं और कागजो में डीजल चढ़ा दिया जाता है। खबर है कि यह सूचना आला अफसरों तक पहुंच गई है ऐसे में जल्द कार्रवाई होना लाजमी है।
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