सुप्रिया पांडे. राजधानी रायपुर की सड़को में इन दिनों भिखारियों की संख्या बढ़ी हैं. जिसे देखते हुए समाज कल्याण विभाग पुलिस की मदद से भिखारियों के रेस्क्यू का काम कर रही है.

इन भिखारियों को पुनर्वास केन्द्र में स्थापित किया जाएगा और वहां भिखारियों की वास्तविक स्थिति का पता लगाया जाएगा. यदि किसी भिखारी को अपने राज्य वापस लौटना होगा तो उसके लिए वह व्यवस्था भी की जाएगी.

मामले में समाज कल्याण विभाग के डायरेक्टर पी दयानंद ने बताया कि सड़क के किनारे या सिग्नल पर भिखारियों की संख्या ज्यादा बढ़ी हैं, कुछ भिखारियों के वेश में सड़क किनारे सामान बेचते हुए नजर आते है, कुछ गाड़ियों को साफ कर पैसे मांगते हुए नजर आते है.

ऐसे लोगों के रेस्क्यू की जिम्मेदारी पुलिस को दी गई है, पुलिस ने आज से काम शुरू किया है. उनमें से अगर कोई दिव्यांग या वृद्धजन होंगे तो उनकी पुनर्वास की व्यवस्था भी की जाएगी.

यदि कोई बच्चा भीख मांगता हुआ नजर आता हैं तो महिला बाल विकास विभाग की टीम उनके पुनर्वास की व्यवस्था करेगी.

विभाग के द्वारा ये जानने का भी प्रयास किया जाएगा कि भिखारियों की वास्तविक स्थिति कैसी है, वो क्या चाहते है?क्या उनसे जबरदस्ती भीख मंगवाया जा रहा है? छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में भी इस अभियान को चलाया जाएगा.

यदि भिक्षुकों की संख्या अन्य जिलों में भी बढ़ती हुई नजर आती है तो उन जिलों में भी रेस्क्यू का काम किया जाएगा, फिलहाल इसकी शुरूआत आज रायपुर से की गई है, आने वाले समय में भिखारियों को कौशल विकास के माध्यम से समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा. दिव्यांगों के लिए अलग व्यवस्था होगी. भिखारियों के परीक्षण के आधार पर फैसले लिए जाएंगे.