रायपुर. लोक लेखा समिति के सदस्य इन दिनों छत्तीसगढ प्रवास पर हैं. बस्तर का दौरा करने के बाद समिति के अध्यक्ष सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा, बस्तर की तस्वीर बदल रही है. यह तो सबको मानना पड़ेगा. बाहर के लोगों के साथ जब बस्तर की बात सामने रखी जाती है तो एक इंप्रेशन बनती है. बस्तर मतलब दहशत खून, खराबा, नक्सली, सीआरपीएफ, लेकिन जब हम लोग गए तो माहौल देखकर चौंक गए.

सांसद चौधरी ने कहा, आदिवासी बच्चे इंग्लिश मीडियम स्कूल जा रहे हैं, इस पर बहुत गर्व महसूस हो रहा. चारों तरफ सुरक्षित माहौल जरूर बने हैं. बस्तर में विकास हो रहा है. इसके चलते नक्सली खत्म हो रहा है. रोजगार के सृजन हो रहे हैं. सही मायनों में छत्तीसगढ़ विकास कर रहा है.

गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे पर चौधरी ने कहा, मैं गुलाम नबी आजाद के घर के सामने ही रहता हूं. दिल्ली में मोदी सरकार आने के बाद अगर मंत्री पद में नहीं रहता है तो बंगला खाली करना पड़ता है, लेकिन गुलाम नबी आजाद का घर खाली करने का नौबत कभी आया नहीं. कोरोना काल में 50 लाख लोगों की मौत हुई थी, किसी ने शोक व्यक्त भी नहीं की. जब गुलाम नबी आजाद की रिटायरमेंट की बारी आई तो मोदी जी सदन के अंदर रोने लगे.

सांसद चौधरी ने कहा, जिस दिन आजाद के लिए मोदी जी ने सदन के अंदर रोने का नाटक किया उसी दिन सब चीजें समझ में आ गई थी. उसी दिन स्पष्ट हो गया था कि मोदी के चक्कर में आजाद जी फंस गए हैं. आजाद जी पार्टी छोड़कर चले गए हैं, अब तो बता ही सकते हैं कि क्या-क्या बदलाव करने की जरूरत था. गुलाम नबी आजाद के तरक्की के पीछे सबसे बड़ा योगदान किस पार्टी का था उसे सब जानते हैं. कांग्रेस पार्टी ने गुलाब नबी आजाद को क्या नहीं दिया. जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री से लेकर विपक्ष नेता तक बनाया गया. राज्यसभा जाने का मौका नहीं मिला तो उनको गुस्सा आ गया और उन्होंने पार्टी छोड़ दी.