दिल्ली. रुस युक्रेन युध्द में उपजे तनाव के बीच लंगड़ा आम के आने से कुछ मिठास सा गया है. रुसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बनारस के लंगड़ा आम की डिमांड की है. सिर्फ आम ही नहीं हमारे देश से कई सामान मंगवाया है. बता दें कि रुसी विदेश मंत्री कुछ दिन पहले ही भारत दौरें पर थे, जहां उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सामानों की लिस्ट सौंपी है.

Russia Ukraine War: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन में शांति प्रयासों  में योगदान के लिए भारत की रजामंदी दी - prime minister narendra modi gave  indias consent to ...

रुस ने भारत की ओर बढ़ाया हाथ

यूरोप और खाड़ी देशों में बनारसी लंगड़ा आम पहले भी निर्यात होता आया है. युध्द के कारण यूरोप, अमेरिका समेत कई देशों ने रुस पर आर्थिक पांबदिया लगा दी थी, ऐसे में भारत ने रुस की ओर मदद का हाथ बढ़ाया है. इससे दोनों देशों के बीच एक नया प्लेटफॉर्म तैयार होगा. कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के पास रूस से भारतीय उत्पादों के निर्यात के संबंध में एक लंबी चौड़ी सूची आई है.

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70 साल पुराने पेमेंट सिस्टम से होगा व्यापार

रुस के साथ व्यापार में पेमेंट मेथड को भी क्लियर रखा गया है. पेमेंट सिस्टम के लिए एक मुख्यालय रुस में, तो दूसरा नई दिल्ली में होगा पेमेंट डॉलर में न करके रुबल में किया जाएगा. इसके लिए आरबीआई के साथ मिलकर नया प्लेटफॉर्म बनाया जाएगा. यह नया प्लेटफॉर्म 10 अप्रैल तक तैयार हो जाएगा.

जानिए क्या है रुबल पेमेंट सिस्टम

दोनों देशों के बीच रूबल-रुपए की यह व्यवस्था 70 साल से चली आ रही है, ये 1953 में शुरू हुई थी. अब तक भारत और रूस, रूबल- रुपए में लेन-देन करते आए हैं. SWIFT सिस्टम के तहत रूस भारत को रूबल में पेमेंट करता है और भारत रूस को रूपए में पेमेंट करते हैं. इसके लिए दोनों देशों करंसी की एक तय वैल्यू फिक्स (Equivalent Value) कर लेते हैं. जिसके आधार पर लेन-देन किया जाता है. इसके तहत बची वैल्यू का पेमेंट डॉलर या दूसरी करंसी में हो जाता है.

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क्या है SWIFT

द सोसायटी फॉर वर्ल्ड वाइड इंटरबैंक फाइनैंशल टेलिकम्युनिकेशन (The Society for Worldwide Interbank Financial Telecommunication) को स्विफ्ट के नाम से जाना जाता है. जो इंटरनेशनल पेमेंट के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इस सिस्टम से दुनिया के 200 देश और 11 हजार बैंक जुड़े हुए है. जिसका ऑपरेशन बेल्जियम से होता है. यह ठीक उसी तरह काम करता है, जैसे भारत में घरेलू पेमेंट के लिए NEFT, RTGS का इस्तेमाल होता है. उसी तरह SWIFT का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया जाता है.