चंडीगढ़. भाजपा के साथ गठबंधन की अटकलों के बीच शुक्रवार देर शाम तक चली को शिरोमणि अकाली दल की कोर कमेटी की बैठक में कई प्रस्ताव पारित किए गए, जिनसे गठबंधन का रास्ता कठिन होता दिख रहा है. शिअद ने एक सुर में फैसला लिया कि पार्टी अपनी नीतियों और सिद्धांतों से किसी सूरत में समझौता नहीं करेगी.

शिअद ने गठबंधन की चर्चा के बीच कई शर्तें कर दी हैं. इनमें एनएसए कानून को खत्म करना, बंदी सिंहों की रिहाई, अटारी बॉर्डर को व्यापार के लिए खोलना, किसानों को एमएसपी की गारंटी देना समेत कई अहम मुद्दे शामिल हैं. वहीं, तीन बड़े अकाली नेताओं ने कहा कि हमें पहले गठबंधन करना चाहिए और सरकार बनने के बाद तमाम मुद्दों को हल करवाना चाहिए, लेकिन वाकी अकाली नेताओं ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि पंथक व पंजाब के मुद्दे हल होने पर ही समझौता होगा.

जिन तीन नेताओं ने अलग राग अलापा वह तीनों लोकसभा चुनाव में अकाली दल की टिकट के प्रबल दावेदार हैं. कोर कमेटी की बैठक में फैसला लिया गया कि पार्टी खालसा पंथ, सभी अल्पसंखकों के साथ सभी पंजाबियों के हितों के रक्षक के रूप में अपनी ऐतिहासिक भूमिका से कभी पीछे नहीं हटेगी. हम सरबत का भला के दृष्टिकोण के आधार पर राज्य में शांति व सद्भाव के माहौल को बनाए रखने के लिए अपनी पूरी ऊर्जा के साथ काम करना जारी रखेंगे.

शिरोमणि अकाली दल सिखों और सभी पंजाबियों की एकमात्र प्रतिनिधि के रूप में राज्यों को अधिक शक्तियों और असली स्वायत्तता के लिए अपनी लडाई जारी रखेगी. पार्टी अध्यक्ष सुखबीर बादल की अध्यक्षता में पारित विशेष प्रस्ताव में कहा गया हमने कभी इन हितों पर समझौता नही किया है और न ही भविष्य में करेंगे. प्रस्ताव में भारत सरकार से बंदी सिंहों की रिहाई के लिए अपना स्पष्ट स्टैंड रखा गया. प्रस्ताव में कहा गया कि बंदी सिंहों की रिहाई के लिए पार्टी प्रतिबद्ध है.

पांच साल पहले श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व के अवसर पर यह बात स्पष्ट तौर पर रखी गई थी. इसलिए इससे पीछे हटने का सवाल ही नहीं हैं. शिअद किसानों और खेतिहर मजदूरों के हितों की वकालत करता रहेगा और उनसे किए गए सभी वादे पूरे किए जाने चाहिए.

तमाम नेताओं ने कहा कि शिरोमणि अकाली दल मानवाधिकारों के लिए खड़ा है और एनएसए जैसे कठोर काले कानूनों के दुरुपयोग के खिलाफ है. इमरजेंसी के दौरान भी हमने ऐसे कानूनों का विरोध किया था. सरदार प्रकाश सिंह बादल जैसे अधिकांश नेताओं पर भी लगातार कांग्रेस शासकों ने एनएसए जैसे कानून लागू किए थे. इसने बाबा साहिब भीम राव आंबेडकर की ओर से बनाए गए भारत के संविधान की आत्मा को कमजोर करने के प्रयास का भी कड़ा विरोध किया.

Shiromani Akali Dal and BJP