अहमदाबाद। पुणे जातीय हिंसा की आग अब पड़ोसी राज्य गुजरात तक पहुंच गई है. महाराष्ट्र पहले ही सुलग रहा था, अब गुजरात के वालसाड के वापी में भी दलित सेना ने हाईवे जाम कर टायरों का आग के हवाले कर दिया.
गुजरात के नदुरबार से नासिक जाने वाली बसों को भी रोक दिया गया है. यहां दलित सेना महाराष्ट्र में मराठाओं और दलित के बीच हुए जातीय संघर्ष के खिलाफ सड़क पर उतरी है. संसद में भी आज इस मामले को लेकर जमकर हंगामा हुआ.
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महाराष्ट्र सरकार ने इस मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं. वहीं कल मृतक के परिजन को 10 लाख रुपए के मुआवजे का भी ऐलान किया गया था. हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी.
बता दें कि 1 जनवरी को दलित समुदाय शौर्य दिवस मना रहे थे. इस कार्यक्रम में गुजरात के नवनिर्वाचित विधायक जिग्नेश मेवाणी, उमर खालिद, प्रकाश अंबेडकर और राधिका वेमुला मौजूद थे. इसी दौरान दलित और मराठा समुदाय के लोग आपस में भिड़ गए. फिर यहीं से झड़प हिंसक की शुरुआत हो गई थी.
आज महाराष्ट्र बंद
वहीं पुणे हिंसा के बाद आज महाराष्ट्र बंद है. हिंसा की आग मुंबई तक पहुंच गई है. मुंबई को ठप करने की कोशिश की जा रही है. सुबह से ही महाराष्ट्र के कई जिलों में प्रदर्शन और तोड़फोड़ जारी रही. अगर मुंबई की बात करें, तो आज मुंबई के डब्बावालों ने अपनी सेवा रोक दी. आज करीब 2 लाख टिफिन की डिलीवरी नहीं हुई. ऐसे में लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा.
क्या थी भीमा-कोरेगांव की लड़ाई?
भीमा कोरेगांव की लड़ाई 1 जनवरी 1818 को पुणे स्थित कोरेगांव में भीमा नदी के पास महार और पेशवा सैनिकों के बीच लड़ी गई थी. इसमें अंग्रेजों ने पेशवा द्वितीय के खिलाफ लड़ाई जीती थी. इस लड़ाई में सैनिकों के साथ कुछ महार भी शामिल थे. महार सैनिकों को उनकी वीरता और साहस के लिए सम्मानित किया गया और उनके सम्मान में भीमा कोरेगांव में स्मारक भी बनवाया, जिन पर महारों के नाम लिखे गए.