मुंबई। पुणे हिंसा के बाद आज महाराष्ट्र बंद है. इधर हिंसा की आग मुंबई तक पहुंच गई है. मुंबई को ठप करने की कोशिश की जा रही है. सुबह से ही महाराष्ट्र के कई जिलों में प्रदर्शन और तोड़फोड़ जारी है. अगर मुंबई की बात करें, तो आज मुंबई के डब्बावालों ने अपनी सेवा रोक दी है. आज करीब 2 लाख टिफिन की डिलीवरी नहीं होगी. ऐसे में लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. दरअसल दलितों के प्रदर्शन के कारण यातायात में होने वाली दिक्कतों को देखते हुए डब्बावालों ने अपनी सेवा बंद की है.

रेल और बस रोकने की भी कोशिश

वहीं ठाणे में दलितों ने रेल रोकने की कोशिश की. यहां प्रदर्शनकारी पटरी पर उतरे. सेंट्रल रेलवे के सीपीआरओ ने कहा कि कुछ प्रदर्शनकारियों ने ठाणे में रेल सेवा बाधित करने की कोशिश की, लेकिन सीआरपीएफ और रेलवे अधिकारियों ने हालात को संभाल लिया. अगले आदेश तक पुणे के बारामती से सतारा तक की रेल सेवा रोक दी गई है.

घाटकोपर में बेस्ट बसें रोकने की कोशिश की गई. मुंलुंड में बेस्ट की बसों को रोका गया और बसों के पहियों की हवा निकाल दी गई. वर्ली में 2 बेस्ट बसों में तोड़फोड़ की गई.

इधर महाराष्ट्र के नासिक, औरंगाबाद, ठाणे समेत कई जिलों में स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं. हालांकि तनाव के बीच भी मुंबई में कई स्कूल खुले, जहां आज केवल 40 फीसदी बच्चे ही स्कूल पहुंचे हैं. वहीं आज हजारों स्कूल बसों ने भी अपनी सेवाएं नहीं दीं. अगर पूरे महाराष्ट्र की बात करें, तो राज्य की 40 हजार बसें आज नहीं चलेंगी और पुणे हाईवे भी बंद है.

ऑटो के लिए लोग हो रहे हैं परेशान

इधर लोग ऑटो रिक्शा के लिए भी परेशान हो रहे हैं. लंबी-लंबी लाइनें लगी हुई हैं. कुछ लोकल ट्रेनों का भी आज परिचालन रोक दिया गया है. ऐसे में ऑटो रिक्शा पर ही लोग निर्भर हैं.

ठाणे में धारा 144 लागू

वहीं कोरेगांव हिंसा को देखते हुए ठाणे में 4 जनवरी तक धारा 144 लागू कर दी गई है.

गौरतलब है कि 1 जनवरी को पुणे के भीमा कोरेगांव में दलित समाज के शौर्य दिवस पर भड़की हिंसा के विरोध में दलित संगठनों ने आज महाराष्ट्र बंद बुलाया है. इस जातीय हिंसा में एक शख्स की मौत हो गई थी. वहीं दर्जनों गाड़ियों को आग लगा दिया गया था. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हिंसा की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं.

इधर बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर ने हिंसा रोकने में सरकार की असफलता के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए आज महाराष्ट्र बंद का आह्वान किया है. उन्होंने हिंसा को उकसाने के लिए 3 स्थानीय नेताओं सम्बाजी भिडे, मिलिंद एकगोटे और घुघेश पर आरोप लगाया है. वहीं बंद को देखते हुए सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए हैं.

क्या थी भीमा-कोरेगांव की लड़ाई?

भीमा कोरेगांव की लड़ाई 1 जनवरी 1818 को पुणे स्थित कोरेगांव में भीमा नदी के पास महार और पेशवा सैनिकों के बीच लड़ी गई थी. इसमें अंग्रेजों ने पेशवा द्वितीय के खिलाफ लड़ाई जीती थी. इस लड़ाई में सैनिकों के साथ कुछ महार भी शामिल थे. महार सैनिकों को उनकी वीरता और साहस के लिए सम्मानित किया गया और उनके सम्मान में भीमा कोरेगांव में स्मारक भी बनवाया, जिन पर महारों के नाम लिखे गए.